हिस्सा- 6 शाने ग़ौसे आज़म _____________ क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा शेर को खतरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त ...
हिस्सा- 6
शाने ग़ौसे आज़म
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क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा
शेर को खतरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा
आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इस शेअर की तशरीह पढ़ लीजिये क़ल्ब मुनव्वर हो जायेगा इन शा अल्लाह तआला
17. शेख अबु मसऊद इब्ने अबु बक्र से रिवायत है कि एक वली जिनका नाम शेख अहमद जाम ज़िंदाफील है वो शेर पर बैठकर ही सफर किया करते थे और जहां भी आप मेहमान होते तो अपने शेर के लिए एक गाय खुराक़ में तलब करते,एक मर्तबा आप किसी वली के पास गए और शेर के लिए गाय मांगी तो उन्होंने गाय पेश तो कर दी मगर आपको रंज हुआ और आपने उनको सबक सिखाने के लिए कहला भेजा कि बग़दाद शरीफ चले जाइये वहां आपकी और आपके शेर दोनों की बहुत अच्छी दावत होगी,आप उनके कहने के मुताबिक बग़दाद शरीफ पहुंच गए और एक जगह पड़ाव डाल दिया और किसी के ज़रिये हुज़ूर ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास कहला भेजा कि हम उनके मेहमान हैं सो हमारे शेर के लिए भी एक गाय भेज दी जाए,हुज़ूर ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने खादिम के ज़रिये कहला भेजा कि अभी गाय रवाना की जाती है वो वली बहुत खुश हुए और कहने लगे कि देखा हमारा दबदबा,खैर इधर जब खानक़ाह से एक गाय बाहर निकली तो आस्ताने के बाहर एक दुबला पतला कुत्ता बैठा रहता था जो कि उसी आस्ताने के लंगर खाने की हड्डियों पर बसर करता था,जब उसने अपने आस्ताने की गाय को बाहर जाता देखा तो वो भी साथ हो लिया अब जब गाय शेर के सामने पहुंची तो शेर ने उस पर हमला करना चाहा जैसे ही कुत्ते ने देखा कि गाय मुश्किल में है फौरन वो शेर पर झपट पड़ा और मुंह से शेर का गला पकड़ा और अपने नाखूनों से उसका पेट फाड़ डाला शेर वहीं गिरकर मर गया और कुत्ता अपनी गाय लेकर आस्ताने वापस लौट आया,शेख अहमद जाम ने जब कुत्ते की जुर्रत देखी तो फौरन समझ गये कि ये मुझ पर तंबीह है फौरन बारगाहे ग़ौसियत में हाज़िर होकर माफी मांगी और दुआ के तलबगार हुए
📕 हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 214
📕 शाने ग़ौसे आज़म,सफह 204
क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा,अब इसकी एक और शानदार रिवायत मुलाहज़ा फरमायें
18. ठाकुर रणजीत सिंह के दौरे हुकूमत का वाक़िया है कि एक हिन्दू औरत पर एक मुसलमान बद अक़ीदा आशिक़ हो गया,औरत हुज़ूर ग़ौसे पाक को मानने वाली थी,एक दिन वो और उसका शौहर दोनों जंगल के रास्ते से कहीं जा रहे थे कि वो बद अक़ीदा वहां अपने साथ एक और घोड़ा लेकर पहुंच गया और उन दोनों को बैठने को कहा शौहर ने मना किया तो औरत को बिठाने को कहा,तो मर्द ने कहा कि तुम्हारा क्या भरोसा कि तुम कहीं मेरी बीवी को भगा ले गए तो हां अगर ज़मानत दो तो और बात है,इस पर बद अक़ीदा बोला कि इस जंगल में अब ज़ामिन कहां से लाऊं तो औरत बोली कि ग्यारहवीं वाले बड़े पीर साहब की ज़मानत दे दो इस पर वो तैयार हो गया,अब जैसे ही औरत घोड़े पर बैठी उसने फौरन तलवार से उसके शौहर की गर्दन उड़ा दी और उसके घोड़े को लेकर भागा औरत पीछे को देखने लगी तो बद अक़ीदे ने कहा कि अब किसको देखती है तेरा शौहर तो मर गया तो औरत बोली कि मैं बड़े पीर साहब को देखती हूं,इस पर वो हंसा कि उनको मरे तो सदियां गुज़र गयी वो अब कहां से आयेंगे कि तभी अचानक दो बुर्का पेश सवार उसके सामने आकर खड़े हो गए एक ने उसका सर धड़ से अलग कर दिया और दूसरे उस औरत को लेकर वहां पहुंचे जहां उसका शौहर मरा हुआ था आपने उसके सर को जोड़कर =क़ुम बेइज़्निलाह= कहा तो वो फौरन ज़िन्दा होकर खड़ा हो गया दोनों हज़रात उनकी आंखों के सामने गायब हो गए और फिर दोनों मियां बीवी सही सलामत वापस अपने घर को चले आये
📕 शरह हिदायके बख्शिश,जिल्द 1,सफह 91
सुब्हान अल्लाह,सुब्हान अल्लाह,सुब्हान अल्लाहे रब्बिल आलमीन
इसका और भी हिस्सा मिलता रहेगा इंशाअल्लाह....
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