what is namaz What does namaz mean? Does namaz mean prayer? What is namaz called in English? What do we pray in namaz? #full namaz #what is namaz
what is namaz?
नमाज़ क्या होती है
हिस्सा-01
दुनिया में आज हजारों लोग यह जानने के लिए बेकरार है कि नमाज क्या है what is namaz, तो आज उन्ही लोगो की जानकारी के लिए हमारी टीम द्वारा यह समझाने की कौशिश की जा रही है कि नमाज क्या होती है, What does namaz mean? और इसका अर्थ क्या है इसके साथ आज एक जानकारी भी साझा कर रहे है कि दुनिया की किसी भी भाषा में नमाज को केवल "नमाज" के नाम से ही जाना जाता हैा यह बताकर हमने आपके इस सवाल What is namaz called in English?, का जवाब भी एक अजुबे के रूप आपकाे इस ब्लॉग के माध्यम से बता दिया गया हैा
इसी तरीके हजारो सवाल, जिन्हे आप जानना चाहते है या जानने के लिए बेकरार है, उन्हे आप कमेंट बोक्स लिखे, इंशाअल्लाह कौशिश की जायेगी आपके सवाल का जवाब देने के लिए. दुआ में याद और इसे शेयर जरूर करे.
नमाज़ namaz इस्लाम का अहेम रुक्न है- नमाज़ namaz सब इबादतों से अफ़ज़ल है, नमाज़ namaz मेराज का तोहफ़ा है, नमाज़ namaz हर बुराई से रोकती है, नमाज़ namaz मोमिन की मेराज है, बल्कि ईमान के बाद पहली शरीअत नमाज़ namaz है, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर पहली मरतबा जिस वक्त ''वही' उतरी और नबूव्वते करीमा ज़ाहिर हुई, उसी वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ब तालीमे जिब्रील अमीन अलैहिस्सलाम नमाज़ namaz पढ़ी और उसी दिन ब तालीमे अक़दस हज़रत उम्मुल मुमिनीन ख़दीजतुल कुबरा रज़ियल्लाहु अन्हा ने पढ़ी दूसरे दिन अमीरुल मुमिनीन हज़रते अली मुरतजा करमल्लहु वजहु ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ पढ़ी, कि अभी सूर ए मुज़म्मिल भी नाज़िल न हुई थी, तो ईमान के बाद पहली शरीअत नमाज़ namaz है
नमाज़ namaz पढ़ने से बेशुमार फज़ीलत हासिल होती है, जिसका शुमार हम से ना मुम्किन है, ह़दीस की किताबों में नमाज़ namaz पढ़ने की फज़ीलत इतनी तफ़सील से बयान फरमाई गई है कि अगर सिर्फ उन फज़ाइल ही का वर्णन किया जाए तो एक अलग किताब तैय्यार हो जाए, अब सवाल यह है कि नमाज़ namaz की फज़ीलत कब हासिल होगी? जवाब साफ़ है कि नमाज़ namaz को सहीह तरीक़े से अदा करने से, अगर नमाज़ namaz के लवाज़िमात (नियमों) का लिहाज़ नहीं किया गया और अधूरी नमाज़ namaz पढ़ी गई, तो नमाज़ namaz पढ़ने की फज़ीलत हासिल नहीं होगी, लेकिन अफ़सोस कि बहुत से मोमिन भाई नमाज़ namaz के मसाइल से नावाक़िफ़ (अजाण) होने के कारण नमाज़ namaz के अरकान (काम) सहीह तौर से अदा नहीं करते, नतीजा ये होता है कि उनकी नमाज़ namaz नाक़िस (अधूरी) रहती है, बल्कि कुछ सूरतों में तो उनकी नमाज़ namaz फासिद (टूट जाना) हो जाती है, ऐसी नमाज़ namaz पढ़ने वाला नमाज़ namaz की फज़ीलत से महरुम वंचित रहता है, मोमिन भी नमाज़ namaz पढ़ता है और मुनाफिक़ भी नमाज़ namaz पढ़ता है लेकिन मोमिन की नमाज़ namaz और मुनाफिक़ की नमाज़ namaz में ज़मीन आसमान से भी ज़्यादा फर्क़ होता है, क़ुरआन मजीद में मोमिन और मुनाफिक़ दोनों की नमाज़ namaz का ज़िक्र फरमाया गया है,मोमिन की नमाज़ namaz का क़ुरआन मजीद में ईस तरह ज़िक्र मौजूद है अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है कि
तर्जुमा कंज़ुल ईमान-: बेशक! मुराद को पहुंचे ईमान वाले जो अपनी नमाज़ namaz में गिडगिडाते हैं
यानि इनके दिलों में खुदा का ख़ौफ़ होता है और इनके आ़ज़ा (अंग) साकिन होते हैं, बाज़ मुफस्सिरीन ने फरमाया कि नमाज़ namaz में खुशूअ़ ये है कि उस में दिल लगा हो, और दुनिया से तवज्जो हटी हुई हो और नज़र जाए नमाज़ namaz से बाहर न जाए और गोश ए चश्म से किसी तरफ़ न देखे और कोई अबस काम न करे और कोई कपड़ा शानों पर न लटकाए इस तरह कि उसके दोनों किनारे लटके हों, और आपस में मिले न हों, और उंगलियाँ न चटख़ाए और इस क़िस्म की हरकत से बाज़ रहे बाज़ ने फरमाया कि खुशूअ़ ये है कि आसमान की तरफ़ नज़र न उठाए
मोमीन की नमाज
उपरोक्त आयत की तफ़सीर में नमाज़ namaz को सहीह तरीक़े से अदा करने और नमाज़ namaz में व्यर्थ हरकतों से दूर रहने की ताकीद फरमाई गई है, और मोमिन की शान ये बयान फरमाई गई है कि मोमिन जब नमाज़ पढ़ता है तब खुशूअ़ और खुजूअ़ (एकाग्रता) से नमाज़ namaz पढ़ता है और नमाज़ namaz में किसी प्रकार की अयोग्य हरकत नहीं करता बल्कि अपने अंगों को साकिन(स्थिर) रखकर कामिल तौर पर नमाज़ namaz पढ़ता है
मुनाफिक की नमाज
मुनाफिक़ की नमाज़ namaz क़ुरआन मजीद में इस तरह बयान है कि
"तर्जुमा कंज़ुल ईमान:- तो उन नमाज़ियों की ख़राबी है जो अपनी नमाज़ namaz से भूले बैठे हैं वह जो दिखावा करते हैं"
"तफ़सीर--- इस से मुराद मुनाफिक़ीन हैं जो तन्हाई में नमाज़ namazनहीं पढ़ते कियोंकि वह इसके मोतकिद नहीं, और लोगों के सामने नमाज़ी बनते हैं, और अपने को नमाज़ी ज़ाहिर करते हैं और दिखाने के लिए उठ बैठ लेते हैं, और हकीकत में नमाज़ से गाफ़िल हैं"
हमारे बहुत से मोमिन भाई पाबंदी से नमाज़ namaz तो पढ़ते हैं लेकिन नमाज़ के मसाइल से बिलकुल वाक़फ़ियत नहीं है, जैसे:-
- नमाज़ namaz के शराइत, फराइज़, वाजेबात, सुनन और मुस्तहब्बात क्या हैं?
- किन बातों से नमाज़ namaz फ़ासिद होती है?
- सजद ए सहूव करना कब लाज़मी है?
- नमाज़ namaz किन बातों से मकरुहे तह़रीमी वाजेबुल एआदा होती है?
उपरोक्त विविध ज़रुरी मसाइल और आवश्यक अहेकाम से बिलकुल ग़ाफ़िल और बे ख़बर होते हैं और अपने तौर तरीके से नाक़िस अधूरी नमाज़ namaz पढ़ते हैं, कुछ लोग जब नमाज़ namaz पढ़ते हैं तब जल्दी जल्दी में रुकुअ और सुजूद (सजदा) इस तरह करते हैं कि नमाज़ namaz के अरकान ही अदा नहीं होते, लेकिन वह अपनी इस कमी की तरफ़ मुत्लक़ तवज्जो नहीं देते और इस वहम और गुमान में होते हैं कि हम नमाज़ सही पढ़ते हैं और हम को नमाज़ पढ़ने की फज़ीलत हासिल होगी, लेकिन हकीकत यह है कि इस तरह पढ़ी जाने वाली नमाज़ नाक़िस (अधूरी) और न क़ाबिले तवज्जो है, हम पर लाज़िम है कि हम सही तरीके से नमाज़ namaz अदा करें और नमाज़ namaz सही तरीके से तब ही अदा की जा सकेगी, जबकि नमाज़ namaz के मसाइल की जानकारी होगी.
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त फरमाता है कि
"जो नमाज़ namaz को उसके वक्त में ठीक- ठीक अदा करे, उसके लिए मुझ पर अह़द (वचन) है कि उसे जन्नत में दाख़िल फ़रमाऊं और जो वक़्त में न पढ़े और ठीक अदा न करे उसके लिए मेरे पास कोई अह़द नहीं, चाहूँ तो उसे जन्नत में ले जाऊँ और चाहूँ तो दोज़ख में ले जाऊँ"
📕📚माख़ूज़ मोमिन की नमाज़ सफह 28
🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹
हिस्सा-02 to be continued....
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