क़ुरआन पाक की बहुत सारी आयतों में नमाज़ का हुक्म दिया गया है जानिए namaz nahi padhne walo ka anzam
what is namaz?
नमाज़ क्या होती है
हिस्सा-02
namaz nahi padhne walo ka anzam
तर्जुमा कंज़ुल ईमान--- नमाज़ क़ायम करो, और ज़कात दो, और रुकू करने वालों के साथ रुकू करो
📕📚पारा 1 सूरह बक़रा आयत नं 43
📕📚पारा 2 सूरह बक़रा आयत नं 238
📕📚पारा 3 सूरह माऊन सफह 5/4
जानबूझकर नमाज़ क़ज़ा करने वाले जहन्नम की वादी वैल का हकदार
- सही मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 16 सफह 28 ह़दीस 21-
- کتاب الایمان، باب بیان أرکان الاسلام
- जामें तिर्मिज़ी श़रीफ़ जिल्द 4 सफह 280 ह़दीस, 2625
- أبواب الایمان، باب ماجاء فی حرمۃ الصلوۃ،
- सही मुस्लिम शरीफ़ सफह 336 ह़दीस 667
- کتاب المسجد، باب المشی اِلی الصلوۃ-
कंज़ुल ईमान----- यह किताब परहेज़ गारों को हिदायत है, जो गैब पर ईमान लाते और नमाज़ क़ायम रखते और हमने जो दिया उस में से हमारी राह में खर्च करते हैं
- 📕📚पारा 1 सूरह बक़रा आयत 3
कंज़ुल ईमान----- तमाम नमाज़ों खुसूसन बीच वाली नमाज़ (असर) की मुह़ाफ़िज़त रखो, और अल्लाह के हुज़ूर अदब से खड़े रहो
कंज़ुल ईमान---- ख़राबी उन नमाज़ियों के लिए जो अपनी नमाज़ से बे ख़बर हैं, वक्त गुज़ार कर पढ़ने उठते हैं
कुरआन की चार आयत
क़ुरआन पाक की बहुत सारी आयतों में नमाज़ का हुक्म दिया गया है मैंने सिर्फ क़ुरआन से 4 आयत पेश की है ताकि पोस्ट ज़्यादा लम्बी न हो जाऐ, नमाज़ की फ़ज़ीलत पर कुछ ह़दीसें भी पेश कर दूं आप पढ़ें और नमाज़ को अपने वक्त पर अदा करें
ह़दीस:--- जहन्नम में एक वादी है, जिसकी सख़्ती से खुद जहन्नम भी पनाह मांगता है, उस वादी का नाम वैल (ویل) है जानबूझकर नमाज़ क़ज़ा करने वाले उसके हक़दार हैं
📕📚माख़ूज़ बहारे श़रीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 434
नमाज़ की अहमियत इससे भी पता चलता है कि अल्लाह अज़्ज़वजल ने सब अहकाम अपने ह़बीब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ज़मीन पर भेजे, लेकिन जब नमाज़ फर्ज़ करनी मंज़ूर हुई तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को अपने पास अर्शे अज़ीम पर बुला कर उसे फर्ज़ किया और शबे असरा यानि मेअराज की रात में यह तोहफ़ा दिया
ह़दीस:--- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि इस्लाम की बुनियाद पांच (5) चीजों पर है
- इस बात की शहादत देना कि अल्लाह के सिवा कोई सच्चा मअबूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उसके ख़ास बन्दे और रसूल हैं,
- नमाज़ क़ायम करना,
- ज़कात देना,
- माहे रमज़ानुल मुबारक का रोज़ा रखना,
- ह़ज करना
"मैंने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सवाल किया, कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम, मुझे वह अमल बतायें, जो जन्नत में ले जाऐ और जहन्नम से बचाये! हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, अल्लाह तआला की इबादत कर, और उसके साथ किसी को श़रीक न कर ,और नमाज़ क़ायम रख, और ज़कात दे, और रमज़ान का रोज़ा रख, और बैतुल्लाह का हज कर, और इसी ह़दीस में यह भी है कि इस्लाम का सतून नमाज़ है"
"बताओ! अगर किसी के दरवाज़े पर नहेर हो और वह उस में हर रोज़ पांच मरतबा गुस्ल करे क्या उसके बदन पर मैल रह जायेगी? सहाबा ने अर्ज़ की कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम नहीं, फरमाया, यही मिसाल पांचों नमाज़ों की है, कि अल्लाह तआला उनके सबब ख़ताओं को माफ़ फरमा देता है"
- 📕📚 माख़ूज़ बहारे श़रीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 435 नमाज़ का बयान
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