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namaz k faraiz (what is namaz?) Part-07

namaz k faraiz फ़राइज़े नमाज़ सात हैं अगर इन में से एक भी faraiz फर्ज़ जान बूझकर या भूल कर छोड़ दे या छूट जाऐ तो सजदा सहू से भी नमाज़ नहीं होगी,

namaz k faraiz

  what is namaz? हिस्सा-07

नमाज़ के फर्ज़ों का बयान

namaz k faraiz फ़राइज़े नमाज़ सात हैं अगर इन में से एक भी faraiz फर्ज़ जान बूझकर या भूल कर छोड़ दे या छूट जाऐ तो सजदा सहू से भी नमाज़ नहीं होगी, बल्कि फिर से नमाज़ namaz पढ़ना ज़रुरी है, वोह सात  namaz k faraiz फराइज़ येह हैं

  1. तकबीरे तैह़रीमा
  2. क़याम यानि खड़ा होना
  3. क़िराअ़त
  4. रुकुअ
  5. सजदा
  6. क़ा'द ए आख़िरह
  7. ख़ुरुज बेसुन्एहि

📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 158/170

namaz k faraiz

अब नमाज़ के सातों namaz k faraiz फराइज़ और उसकी मुख़्तसर तफ़सील और उन faraiz फराइज़ के तअल्लुक़ से शरई मसाइल और अहकाम आप की ख़िदमत में पेश करता हूँ,बस आप पढ़ें और दुआओं में हम फ़क़ीर को भी याद रखें

- नमाज़ का पहला फर्ज़! तकबीरे तैह़रीमा

तकबीरे तैह़रीमा यानि "अल्लाहु अकबर" कहकर नमाज़ शुरू करना" और येह फर्ज़ है, हालांकि नमाज़ के दीगर अरकान की अदाइगी और इन्तेक़ाल यानि एक रुकन से दूसरे रुकन में जाते वक़्त, "अल्लाहु अकबर" कहा जाता है लेकिन सिर्फ नमाज़ शुरू करने के वक़्त जो "अल्लाहु अकबर" कहा जाता है वही तकबीरे तैह़रीमा है, और येह farz फर्ज़ है इस को छोड़ने से नमाज़ namaz नहीं होगी

-तकबीरे इन्तिक़ाल

नमाज़ के दीगर अरकान की अदाइगी के वक़्त जो अल्लाहु अकबर कहा जाता है जैसे क़याम से रुकूअ जाते वक़्त और रुकुअ से सजदा जाते वक़्त, जो तकबीर कही जाती है उसे तकबीरे इन्तिक़ाल कहते हैं

मस्अला:- किसकी नमाज शुरू ही न हुई ?

जिन नमाज़ों में क़याम यानि खड़ा होना फर्ज़ है, उनमें तकबीरे तैह़रीमा के लिए भी क़याम यानि खड़ा होना फर्ज़ है,अगर किसी ने बैठकर "अल्लाहु अकबर " कहा फिर खड़ा हो गया तो उसकी नमाज़ शुरु ही ना हुई
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1 सफह 68


मस्अला:- किसकी नमाज  न हुई?

  • इमाम को रुकूअ में पाया ,और मुक़तदी तकबीरे तैह़रीमा कहता हुआ रुकूअ में गया और तकबीरे तैह़रीमा उस वक़्त ख़त्म की, कि अगर हाथ बढ़ाए यानि लम्बा करे तो घुटने तक पहुंच जाए तो उसकी नमाज़ ना हुई
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1 सफह 69
📕📚रद्दुल मुह़तार जिल्द 2 सफह 176
  • कुछ लोग इमाम को रूकूअ में पा लेने की गर्ज़ से जल्दी-जल्दी रुकूअ में जाते हुए तकबीरे तैह़रीमा कहते हैं और झुकने की हालत में तकबीरे तैह़रीमा कहते हैं उनकी नमाज़ नहीं होती, उनको अपनी नमाज़ फिर से दोबारा पढ़नी चाहिए
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3, सफह 393
  • नफ़्ल नमाज़ के लिए तकबीरे तैह़रीमा रुकूअ में कही तो नमाज़ न हुई और अगर बैठकर कही तो हो गई, इसलिए कि नफ्ल नमाज़ बैठकर पढ़ने से भी हो जाती है,
📕📚रद्दुल मुह़तार जिल्द 2 सफह 219
  • मुक़तदी ने लफ़्ज़ "अल्लाह" इमाम के साथ कहा मगर लफ़्ज़ "अकबर" को इमाम से पहले ख़त्म कर चुका तो उस मुक़तदी की नमाज़ ना हुई
📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 218

मस्अला:- गुंगा या जबान बंद हो, ऐसे  व्‍यक्ति की तकबीरे तहरिमा कैसे होगी?

जो शख्स़ तकबीरे तैह़रीमा के तलफ़्फुज़ पर क़ादिर न हो मसलन गूंगा हो या किसी वजह से ज़बान बंद हो गई हो उस पर तलफ़्फुज़ यानि मुंह से बोलना वाजिब नहीं दिल में इरादा काफी है यानि दिल में कह ले

📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 220

मस्अला:- तकबीरे तहरिमा की फजीलत कब मिलेगी?

पहली रकाअत का रुकूअ मिल गया तो तकबीरे ऊला यानि तकबीरे तैह़रीमा की फज़ीलत मिल गई

📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1 सफह 69

मस्अला:- तकबीरे तहरिमा के लिए क्‍या कहना वाजिब है?

तकबीरे तैह़रीमा में लफ्ज़ "अल्लाहु अकबर" कहना वाजिब है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3,सफह 517
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 58

मस्अला:- तकबीरे तहरिमा में क्‍या करना सुन्‍नत है ?

  • तकबीरे तैह़रीमा के लिए दोनों हाथों को कानों तक उठाना सुन्नत है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 520
  • तकबीरे तैह़रीमा में हाथ उठाते वक़्त उंगलियों को अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए, यानि उंगलियों को बिल्कुल मिलाना भी ना चाहिए और न बहुत खुली हुई भी रखना चाहिए,यही सुन्नत का तरीक़ा है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 520
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 58
  • तकबीरे तैह़रीमा कहते वक़्त हथेलियों और उंगलियों के पेट क़िब्ला रु होना सुन्नत है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 520
  • दोनों हाथों को तकबीर कहने से पहले उठाना सुन्नत है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 521
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 58
  • तकबीरे तैह़रीमा  के वक़्त  सर न झुकाना बल्कि सीधा रखना सुन्नत है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 521
  • औरत के लिए सुन्नत येह है कि तकबीरे तैह़रीमा में हाथ सिर्फ मूढों यानि कंधों तक उठाए
📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 222
  • तकबीरे तैह़रीमा के बाद फौरन हाथ बांध लेना सुन्नत है, हाथ को लटकाना नहीं चाहिए बल्कि तकबीरे तैह़रीमा कहने के फौरन बाद दोनों हाथों को कान से हटाकर नाफ़ के नीचे बांध लेना चाहिए 
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 522
  • बा'ज़ लोग तकबीरे तैह़रीमा के बाद हाथों को सीधा कर के लटकाते हैं फिर हाथ बांधते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए
  • इमाम का तकबीरे तैह़रीमा और तकबीरे इंतिक़ाल बुलंद आवाज़ से कहना सुन्नत है
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 521
📕📚मर'जउस्साबिक़

  • तकबीरे तैह़रीमा के वक़्त हाथ उठाना सुन्नते मुअक्किदह है, हाथ उठाना छोड़ देने की आदत से गुनहगार होगा तकबीरे तैह़रीमा में हाथ ना उठाने से नमाज़ मकरुह होगी

📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 1, सफह 176
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 59

मस्अला:-  अगर इमाम तकबीरे इन्तिक़ाल यानि अल्लाहु अकबर बुलंद आवाज़ से कहना भूल गया

अगर इमाम तकबीरे इन्तिक़ाल यानि अल्लाहु अकबर बुलंद आवाज़ से कहना भूल गया और आहिस्ता कहा तो सुन्नत का तर्क हुआ क्योंकि अल्लाहु अकबर पूरी बुलंद आवाज़ से कहना सुन्नत है, नमाज में कराहते तन्ज़ीही आई मगर नमाज़ हो गई

📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3, सफह 147 

मस्अला:-  जिसका आदमी का एक ही हाथ हो, वह तकबीरे तहरिमा कैैैसे करे ?

अगर कोई शख्स़ किसी उज्र यानि परेशानी की वजह से सिर्फ एक हाथ ही कान तक उठा सकता है तो एक हाथ ही कान तक उठाए
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1 सफह 73

मस्अला:-  मुकतदी और अकेले नमाज पढनेे वाला  अल्‍लाह अकबर की आवाज ?

मुक़तदी और अकेले नमाज़ पढ़ने वाले को तकबीरे तैह़रीमा बुलंद आवाज़ से कहने की ज़रूरत नहीं, सिर्फ इतनी आवाज़ ज़रूरी है कि खुद सुने
📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 209


-नमाज़ का दूसरा फर्ज़ क़याम यानि खड़ा होना

नमाज में तकबीरे तहरिमा के बाद पूरा कयाम यानि सीधा खडा होने को कयाम कहते हैा 

मस्अला:- पूरा क़याम यानि  खड़ा होना येह है कि सीधा खड़ा हो
📕📚दुर्रे मुख़्तार व रद्दुल मुह़तार जिल्द 2,सफह 163

मस्अला:- फर्ज़,व वित्र, व ईदैन, और फजर की सुन्नत, इन तमाम नमाज़ों में क़याम फर्ज़ है,यानि मर्द और औरत दोनों का खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना फर्ज़ है, अगर बिला उज्रे सहीह येह नमाज़ें बैठकर पढ़ेगा तो नमाज़ न होगी
📕📚दुर्रे मुख़्तार व रद्दुल मुह़तार जिल्द 2 सफह 163

मस्अला:-  कयाम में मकरूहे तहरीमी  क्‍या है?

  • एक पांव पर खड़ा होना यानि दूसरे पांव को ज़मीन से उठा हुआ रख़कर क़याम करना मकरूहे तैह़रीमी है और अगर किसी उज्र यानि मजबूरी की वजह से ऐसा किया तो कोई हर्ज नहीं
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1,सफह 69

मस्अला:-  अगर कोई कमजोरी की वजह से नमाज में खडा न हो सके तो क्‍या करे?

  • अगर कोई इतना कमज़ोर है कि खड़ा होकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता, तो बैठकर पढ़े लेकिन अगर लकड़ी या खादिम या दीवार पर टेक लगा कर खड़ा हो सकता है तो फर्ज़ है कि खड़ा हो कर नमाज़ पढ़े
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1, हिस्सा 3, सफह 511
  • अगर कुछ देर के लिए भी खड़ा हो सकता है अगर'चेह इतना ही कि खड़ा होकर "अल्लाहु अकबर" कह ले, तो फर्ज़ है कि खड़ा होकर इतना ही कह ले फिर बैठ जाए
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3 सफह 52
📕📚मरज'उस्साबिक़ सफह 262

  • आज'कल उमूमन यह बात देखी जाती है कि जहाँ ज़रा सा बुखार आया, या ज़रा सी कमज़ोरी, या मामूली बीमारी या बुढ़ापा की वजह से सिरे से बैठकर फर्ज़ नमाज़ पढ़ते हैं, हालांकि उन बैठ कर नमाज़ पढ़ने वालों में से बहुत से ऐसे भी होते हैं की हिम्मत करें तो पूरी फर्ज़ नमाज़ खड़े होकर अदा कर सकते हैं, और इस अदा से न इनका मर्ज़ बढ़ेगा ना कोई नया मर्ज़ लाहिक यानि लागू होगा और न ही गिर पड़ने की हालत होगी, बारहा का मुशाहेदा (अनुभव) है कि कमज़ोर और बीमारी के बहाने बैठकर फर्ज़ नमाज़ पढ़ने वाले खड़े रहकर काफी देर देर तक इधर-उधर की बातें करते रहते हैं, ऐसे लोगों को बैठकर फर्ज़ नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं बल्कि ऐसे लोगों पर  फर्ज़ है कि खड़े होकर नमाज़ अदा करें
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3,सफह 53/424
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1, हिस्सा 3,सफह 511
  • अगर कोई शख्स़ कमज़ोर या बीमार है लेकिन असा यानि लकड़ी या खादिम या दीवार पर टेक लगाकर खड़ा हो सकता है तो उस पर फर्ज़ है कि उन पर टेक लगाकर खड़ा होकर नमाज़ पढ़े
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3,सफह 53
📕📚बहारे शरीयत जिल्द, 1 हिस्सा 3,सफह 511

मस्अला:-  कयाम की हालम में क्‍या करना सुन्‍नत है?

  • कयाम की ह़ालत में दोनों पांव के दरमियान चार अंगुल का फासला यानि अंतर रखना सुन्नत है और यही हमारे इमामे आज़म से मन्क़ूल है
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3, सफह 448
  • क़याम में थोड़ी देर एक पांव पर ज़ोर यानि वज़न रखना, फिर थोड़ी देर दूसरे पांव पर ज़ोर रखना सुन्नत है
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3,सफह 448

मस्अला:-  नमाजी के लिए मुस्‍तहब?

  • नमाज़ी के लिए मुस्तहब है कि हालते क़याम  में अपनी नज़र सजदा करने की जगह पर रखे
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द 1,सफह 77

मस्अला:-  कयाम में नमाजी अपने हाथ कैसे  और कहां बांधे 

namaz me hath kaha bandhna chahiye

  • क़याम में मर्द हाथ यूँ बांधे की नाफ़ के नीचे,दाएं  Right हाथ की हथेली, बाएं Left हाथ की कलाई के जोड़ पर रखें,और अन्गुलियां यानि सबसे छोटी ऊंगली,अंगूठा कलाई के इर्द-गिर्द हल्का Round की श़क्ल में रखे, और बीच की तीनों उंगलियों को बाएं हाथ की कलाई की पुस्त पर बिछा दे, or औरत बायीं हथेली सीना पर पिस्तान (छाती) के नीचे रखकर उसकी पुस्त पर दाहिनी हथेली रखे
namaz me hath kaha bandhna chahiye

 

📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3, सफह 46

मस्अला:-  क्‍या नफील नमाज बैठकर पढ सकते है?

  • मस्अला:- नफ़्ल नमाज़ बैठकर भी पढ़ सकते हैं, मगर खड़े होकर पढ़ना अफ़ज़ल है, ह़दीस शरीफ़ में है कि बैठकर पढ़ने वाले की नमाज़ खड़े होकर पढ़ने वाले की आधी है यानि आधा सवाब है, और अगर किसी उज्र (मजबूरी) की वजह से बैठकर पढ़ी तो सवाब में कमी ना होगी, आजकल अवाम में रिवाज पड़ गया है कि नफ़्ल नमाज़ बैठकर ही पढ़ते हैं, और शायद नफ़ल नमाज़ बैठकर पढ़ना अफ़ज़ल गुमान करते हैं, लेकिन यह ख़याल ग़लत है, नफ्ल नमाज़ भी खड़े होकर पढ़ना अफ़ज़ल है, और खड़े होकर पढ़ने में दूगना यानि डबल सवाब है, अलबत्ता अगर बगैर किसी उज्र भी नफ़्ल नमाज़ बैठकर पढ़ी तो भी हो जायेगी, मगर सवाब आधा मिलेगा
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1,हिस्सा 4, सफह 670
  • हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि  वसल्लम ने नफ़्ल नमाज़ बैठ कर पढ़ी है लेकिन साथ में येह भी फरमाया है कि मैं तुम्हारी मिस्ल यानी तुम्हारे जैसा नहीं हूँ, मेरा सवाब खड़े होकर और बैठ कर पढ़ने में  दोनों में यकसा यानि बराबर है,तो उम्मत के लिए खड़े होकर पढ़ना अफ़ज़ल और दूना डबल सवाब है, और बैठकर पढ़ने में भी कोई एतराज़ नहीं लेकिन आधा सवाब मिलेगा
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3, सफह 461

खुलासा येह है कि नफ़्ल नमाज़ बैठकर पढ़ने से भी हो जायेगी, लेकिन खड़े होकर पढ़ना चाहिए इसलिए कि खड़े हो कर पढ़ना अफ़ज़ल भी है और डबल सवाब भी, अगर बैठकर पढ़ेंगे तो नमाज़ तो हो जायेगी पर सवाब में कमी हो जायेगी यानि आधा सवाब मिलेगा

  • बैठकर नफ़्ल नमाज़ पढ़ने में रुकुअ इस तरह करना चाहिए कि पेशानी झुक कर घुटनों के मक़ाबिल सामने आजाऐ और रुकुअ करने में सुरीन (चूतर) उठाने की हाजत नहीं, बैठ कर नमाज़ पढ़ने में रुकुअ करते वक़्त सुरीन (चूतर) उठाना मकरुहे तन्ज़ीही है
📕📚फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 3,सफह 151/69


मस्अला:-हालते क़याम में दायें बायें झूमना मकरुहे तन्ज़ीही है
📕📚मोमिन की नमाज़, सफह 61

मस्अला:- अगर क़याम कर सकता है,मगर सजदा नहीं कर सकता या सजदा तो कर सकता है मगर सजदा करने से ज़ख़्म बहेगा, तो उसके लिए बेहतर है कि बैठकर इशारे से नमाज़ पढ़े और खड़े होकर भी इशारे से पढ़ सकता है
📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2, सफह 164

मस्अला:- अगर कोई शख्स़ इतना कमज़ोर है कि मस्जिद में जमाअत के लिए जाने के बाद खड़े होकर नमाज़ नहीं पढ़ सकेगा और अगर घर में पढ़ता है तो खड़ा होकर पढ़ सकता है, तो उसे चाहिए कि घर पर ही नमाज़ पढ़े अगर घर में जमाअत से पढ़ सकता है तो बेहतर है वरना तन्हा खड़े होकर घर में ही पढ़ ले
📕📚दुर्रे मुख़्तार व रद्दुल मुह़तार, जिल्द 2, सफह 165
📕📚माखूज़ अज़, बहारे शरीयत जिल्द 1, हिस्सा 3 सफह 511


🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹

हिस्सा-08 to be continued....                                                                    हिस्सा-06

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"235 वाँ उर्से जमाली मुबारक हो",1,आसमानी किताबें (Aasmani Kitabe),10,आसमानी किताबें 4 Aasmani Kitabe,1,इस्तेखारये ग़ौसिया,1,इस्लामिक महीना,7,एतेक़ाफ,1,क्‍या नमाज़ में कुरआन शरीफ देखकर किराअत kiraat करने से नमाज टूट जाएगी?,1,ज़कात zakat,1,नमाज़े तरावीह़,1,पांच वक़्त की नमाज़ जमाअत से पढ़ने की फ़ज़ीलत,1,फ़र्ज़,1,मुस्‍तहब,1,रमज़ान मुबारक,2,रमज़ान मुबारक RAMADAN MUBARAK,2,रमज़ानुल मुबारक,1,व मुबाह का ताअरूफ,1,वज़ाइफे ग़ौसिया,1,वाजिब,2,वित्र_किसे_कहते_हैं?,1,शबे क़द्र,1,सदक़ये फित्र,1,सलातुल ग़ौसिया,1,सुन्नत,2,abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai,1,abdul qadir jilani ghous pak kon hai,1,allah wala,8,attahiyat-Tashahhud,1,Deni Malumat in Hindi,9,Does namaz mean prayer?,1,Fazilat,1,full namaz,4,haraam-kise-kehte-hai-or-namaz-rakat,1,Hiqayat,1,history,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak k naam,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia,1,iblees,1,Is Shab-e-Barat 2 days?,1,islam symbol,4,islami sawal jawab,1,Islamic Haq Baat,2,jab gunah ho jaye to kya kare,1,kiraat-rukoo-sajda-meaning,1,Kya F.D. or Plicy per zakat farz hai,1,Masail e Zakat,1,Mustafa ka gharana salamat rahe,1,Naat Lyrics,3,namaz,2,namaz k faraiz,1,namaz k faraiz aur wajibat,1,namaz kayam karo,1,namaz ki shart o ka bayan,1,namaz ki sunnate wajibat mustahab,1,namaz ko jamat se padhna or 5 waqt ki namaj ka bayan (what is namaz?) Part-11,1,namaz me hath kaha bandhna chahiye,1,namaz nahi padhne walo ka anzam,1,Orto ke zever per zakat ka sharai ahkam,1,RAMADAN MUBARAK,2,ramzan mubarak,1,sadkaye fitra,1,shabe barat ki duwa or namaj ka tarika,1,takbire tehrima,1,Urs e jamali,1,wajib meaning,2,What do we pray in namaz?,1,What does namaz mean?,1,what is farz,2,What is namaz called in English?,1,What should we do during Shab-e-Barat?,1,what-is-qaida-e-akhirah,1,Which night is Shab-e-Barat?,1,zakat kis per farz hai,1,
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Islam Religion History: namaz k faraiz (what is namaz?) Part-07
namaz k faraiz (what is namaz?) Part-07
namaz k faraiz फ़राइज़े नमाज़ सात हैं अगर इन में से एक भी faraiz फर्ज़ जान बूझकर या भूल कर छोड़ दे या छूट जाऐ तो सजदा सहू से भी नमाज़ नहीं होगी,
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