हदीस की किताबों में तो मिलादुन नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर बाब हिस्सा_04 मीलाद शरीफ- मीलाद शरीफ और क़ुर्आन तिर्मिज़ी शरीफ सियाह सित...
हदीस की किताबों में तो मिलादुन नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर बाब
तिर्मिज़ी शरीफ सियाह सित्तह में से एक मशहूर व मारूफ हदीस की किताब है उसमे हज़रत मुहम्मद बिन ईसा तिर्मिज़ी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जिल्द 2 में 512वां बाब बांधा जिसका नाम रखा ماجاء فى ميلاد النبي صلى الله عليه وسلم सोचिये हदीस की किताबों में तो मिलादुन नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर बाब तक मौजूद है और सियाह सित्तह व दीगर किताबों में मिलादुन नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर बहुत सी हदीसे पाक दर्ज हैं मगर मैं उन सबको नक़ल ना करके सिर्फ उन किताबों का नाम दर्ज करता हूं,मुलाहज़ा फरमायें
📕📚 बुखारी,जिल्द 1,सफह 153
📕📚 मुस्लिम जिल्द 2,सफह 819-1162
📕📚 तिर्मिज़ी,जिल्द 2-3,सफह 201-562
📕📚 इब्ने माजा,जिल्द 2,सफह 8
📕📚 अबु दाऊद,जिल्द 5,सफह 176
📕📚 निसाई,जिल्द 2,सफह 147
📕📚 बैहक़ी,जिल्द 4,सफह 286
📕📚 वफाउल वफा,सफह 87
📕📚 सीरतुन नबविया,जिल्द 1,सफह 158
📕📚 तारीखे उमम,जिल्द 2,सफह 125
📕📚 ऐलानुन नुबूवत,सफह 193
📕📚 अयानुल अस्र,जिल्द 1,सफह 33
📕📚 अत्तारीख,जिल्द 2,सफह 394
📕📚 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 2,सफह 14
📕📚 मुहम्मदुर्रसूल अल्लाह,जिल्द 1,सफह 102
हदीस👇
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मदीना तशरीफ लाने पर सहाबये किराम ने जुलूस निकाला
📕📚 बुखारी,जिल्द 2,सफह 496
📕📚 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 2,सफह 93
हदीस👇
आपकी आमद पर औरतें और बच्चे घर की छतों पर चढ़ कर वहीं से या मुहम्मद या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नारा लगाते थे
📕📚 मुस्लिम,जिल्द 7,सफह 417,किताबुज़ ज़ुहद व रिक़ाक़,हदीस 7522
हदीस👇
सहाबये किराम ने घरों में महफिले मीलाद शरीफ मुनक़्क़िद की और खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उनके लिए दुआ फरमाई
📕📚 निसाई,जिल्द 2,सफह 310
📕📚 नूर से ज़हूर तक,सफह 178
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत पर झण्डे लगाना हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम की सुन्नत है
📕📚 मवाहिबुल लदुनिया,जिल्द 1,सफह 148
📕📚 नूर से ज़हूर तक,सफह 182
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत पर इब्लीस लईन चीख चीख कर रोया
📕📚 अलबिदाया वननिहाया,जिल्द 2,सफह 166
📕 मवाहिबुल लदुनिया,जिल्द 1,सफह 148
और आज उस लईन की औलाद ये नज्दी वहाबी चीखते चिल्लाते हैं और अवाम को ऐसा गुमराह करते हैं जैसे कि मीलाद शरीफ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का ज़िक्र ना होकर पता नहीं कौन सा हरामो नाजायज़ काम हो गया है जिस पर इतना बखेड़ा किया जाता है,खैर मैं बात कर रहा था कि अगर कोई काम सहाबा ने ना भी किया होता तब भी क्या वो काम हमारे लिए हराम हो जाता आईये इसका जवाब खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछ लेते हैं तो जवाब में आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि
हदीस👇
हलाल वो है जो खुदा ने अपनी किताब में हलाल किया और हराम वो है जो खुदा ने अपनी किताब में हराम किया और जिसका कुछ ज़िक्र ना फरमाया वो माफ़ है यानि उस पर कोई गिरफ्त नहीं
📕📚 तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 206
शाह अब्दुल अज़ीज़ अलैहिर्रहमा का ये क़ौल तक़रीबन इसी हदीस की तशरीह करता है,फरमाते हैं कि👇
ना करना और चीज़ है और मना करना और चीज़,तो ना करना किसी अम्र खैर की मुमानियत की दलील नहीं हो सकती
📕📚 तोहफये अस्ना अशरिया,बाब 10,सफह 269a
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