हिस्सा-2 शादी
हिस्सा-2
शादी
शादी हमारे मुआशरे की शादी के बारे में तो आप पहले हिस्से में पढ़ चुके हैं अब इस्लाम में निकाह की क्या फज़ीलत है ये भी पढ़ लीजिए
निकाह करना सुन्नते अम्बिया है कि जितने भी नबी आये सबने निकाह किया हत्ता कि हज़रत यहया अलैहिस्सलाम के बारे में भी आता है कि आपने निकाह तो किया मगर किसी वजह से सोहबत ना की और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम भी जब आसमान से उतरेंगे तो निकाह करेंगे
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 128
📕 रूहुल बयान,जिल्द 1,सफह 73
हज़रत माज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि साहिबे निकाह की नमाज़ बिला निकाह वाले से 40 या 70 गुना अफज़ल है
📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 2,सफह 48
जिसने निकाह कर लिया उसने अपना आधा दीन बचा लिया अब आधे के लिए अल्लाह से डरे
📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 268
निकाह के ज़रिये से पैदा हुई मुहब्बत की दुनिया में नज़ीर नहीं मिलती
📕 इबने माजा,सफह 133
बिरादरी में शादी करना अफज़ल है
📕 इबने माजा,सफह 141
मगर इसका मतलब ये नहीं है कि ग़ैर बिरादरी में शादी करना हराम हो गया जैसा कि माहौल बना हुआ है
जो लड़की बग़ैर निकाह के मर गई तो जन्नत में किसी से उसका निकाह कर दिया जायेगा
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 3,सफह 356
दुनिया की औरत जन्नत में हूरों से भी ज़्यादा खूबसूरत व अफज़ल होगी
📕 तफसीरे सावी,जिल्द 1,सफह 17
हज़रत मरयम बिन्त इमरान व कुलसूम हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बहन व आसिया फिरऔन की बीवी ये सारी औरतें हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में आयेंगी
📕 नुरुल अबसार,सफह 13
हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि तुममें से जो कोई निकाह की इस्तेताअत रखता हो तो वो निकाह करे कि ये अजनबी औरत की तरफ नज़र करने से रोकता है और शर्मगाह की हिफाज़त करता है और जिसको निकाह की इस्तेताअत ना हो तो वो रोज़ा रखे कि रोज़ा शहवत को कम करता है
📕 मिशकात,जिल्द 2,सफह 268
अब इस्तेताअत क्या होती है ये भी समझ लीजिए,निकाह करना कभी फर्ज़ हो जाता है कभी वाजिब और कभी कभी हराम भी मसलन जो मर्द औरत का खर्च उठा सकता है और निकाह ना करने के बाईस उससे ज़िना हो जाने का यक़ीन तो उस पर निकाह करना फर्ज़ है और जो औरत का खर्च उठा तो सकता है मगर ज़िना होने का शक है तो उस पर निकाह करना वाजिब है अगर ये हालत ना पायी जाए तो निकाह करना सुन्नत है जो शख्स महज़ ख्वाहिश के लिए निकाह करे तो मुबाह है और जो औरत का खर्च उठाने पर क़ादिर ना हो या ज़रूरी हुक़ूक़ पूरा ना कर सकता हो तो उसको निकाह करना हराम है और इन्हीं बातों का शक हो तो निकाह करना मकरूह है
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 5,सफह 58
हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि 4 बातों की वजह से औरत से निकाह किया जाता है मालदारी,खानदान खूबसूरती और दीनदारी आम तौर पर लोग हुस्न और खानदान देखते हैं मगर तुम पहले दीनदारी देखो
📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 762
सुन्नी मर्द या औरत का वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी राफजी अहले हदीस जमाते इस्लामी या जितने भी बदमज़हब फिरके हैं उनसे निकाह नहीं हो सकता,अगर किया तो बातिल होगा खालिस ज़िना और औलाद वलदुज़ ज़िना होगी
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 107
ये खराबी भी बहुत आम हो चुकी है माज़ अल्लाह अच्छे खासे सुन्नियों का निकाह वहाबियों के यहां हो जाता है और उन्हें इसकी ज़रा भी फिक्र नहीं होती,और ये भी देखा गया है कि लड़की देते वक़्त तो कुछ पूछ-ताछ हो भी जाती है मगर लड़की लेते वक़्त ये भी ज़हमत नहीं उठायी जाती और कुछ कहो तो जवाब मिलता है कि अरे जनाब लड़की अपने घर ला ही तो रहे हैं उसको सुन्नी बना लेंगे,अरे जनाब जब सुन्नी बनाओगे तब बनाओगे अभी जो हराम कारी होगी उसका क्या
किसी की बात चीत चल रही हो तो उस पर दूसरा पैगाम देना मना है जब तक कि पहला इन्कार ना हो जाए
📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 772
इसी तरह औरत अगर इद्दत में है तो उस वक़्त उसको निकाह तो दूर की बात बल्कि निकाह का पैगाम देना भी हराम है
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 36
जुमेरात या जुमा को निकाह करना मुस्तहब है सुबह की बजाये शाम को यानि अस्र बाद करना अफज़ल है,और जुमा के दिन निकाह करना बाईसे बरकत है,हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रते हव्वा से हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रते ज़ुलेखा से हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रत सफोरा से हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रते बिलकीस से और हमारे नबी का निकाह हज़रते खुदैजा व हज़रते आयशा से जुमा के दिन ही हुआ
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 11,सफह 171
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