हिस्सा-3 आसमानी किताबें
हिस्सा-3
आसमानी किताबें
क़ुर्आन करीम में सूरतों और आयतों की तरतीब तौफीक़ी इलल्लाह है यानि खुदा की मर्ज़ी के हिसाब से ही हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इसे तर्तीब दिया और यही लौहे महफूज़ के मुताबिक़ है
📕 तफसीरे जमल,जिल्द 1,सफह 8
मगर किताबी शक्ल में जमा करने की सआदत हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को हज़रते उमर फारूक़े आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के मशवरे से हासिल हुई,आपने उन तमाम सहाबा इकराम को जमा किया जो कातिबे वही थे और उन सबका अमीर व मोहतमिम हज़रत ज़ैद बिन साबित रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को बनाया जिन्होंने बहुत ही मेहनत और जांफिशानी से इस खिदमत को अंजाम देकर हमेशा के लिए दारैन की सआदतें हासिल की
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 14
सबसे पहले क़ुर्आन को मसहफ शरीफ हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने ही नाम दिया
📕 तारीखुल खुल्फा,सफह 57
क़ुर्आन के कितने नाम है उसका सही इल्म तो अल्लाह और उसका महबूब ही जाने अलबत्ता इमाम फखरुद्दीन राज़ी अलैहिर्रहमा ने 32 नाम शुमार किये हैं
📕 तफसीरे कबीर,जिल्द 1,सफह 241
क़ुर्आन में ज़बर ज़ेर पेश जज़्म वग़ैरह अबुल अस्वद दोयली ताबई ने हज्जाज बिन यूसुफ सक़फी के हुक्म से लगाये मगर उस वक़्त ज़बर ज़ेर की ये सूरत ना थी बल्कि सिर्फ अलग अलग रंग के नुक्तों से ही काम लिया जाता था बाद में खलील बिन अहमद फराहीदी ने आज दिखने वाले ज़बर ज़ेर पेश की सूरत बनाई और उन्होंने ही तश्दीद वक़्फ मद जज़्म वस्ल की हरकतों की निशानियां भी लगाई,हज्जाज बिन यूसुफ के हुक्म पर ही क़ुर्आन में नुक्ते लगाए गए जिसे नस्र बिन आसिम लेसी और यहया बिन यामर ने अंजाम दिया ये नुक़्ते 86 हिजरी में लगाए गए
📕 रुहुल बयान,जिल्द 4,सफह 65-66
📕 आईनये तारीख,सफह 22
क़ुर्आन के 30 पारे उस्मे निस्फ रुबा सुल्स के निशान पारो के नाम हज्जाज बिन यूसुफ ने ही लिखवाये और बाज़ ने कहा कि ये काम मामून अब्बासी के दौर में हुए,रुकू के निशान के लिए हज़रते उस्मान ग़नी के उस निशान को इस्तेमाल किया गया जिसे आप रमज़ान में तरावीह के दरमियान अमल में लाते थे मतलब क़ुर्आन का जितना हिस्सा पढ़कर आप रुकू करते थे उसी जगह को रुकू कहा गया
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 16
जामेउल क़ुर्आन हज़रते उसमान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने दौरे खिलाफत में क़ुर्आन के अस्ल नुस्खे से 5,6 या 7 नुस्खे तैयार करके मक्का शाम यमन बहरीन बसरा कूफा को भेजा और एक मदीना तय्यबह में ही महफूज़ कर दिया
📕 अशअतुल लमआत,जिल्द 2,सफह 164
क़ुर्आन का सबसे पहला फारसी तर्जुमा शैख सादी अलैहिर्रहमा ने किया और उर्दू तर्जुमा शाह शफी उद्दीन ने 1774 ईसवी में किया
📕 आईनये तारीख,सफह 40
क़ुर्आन ने 5 चीज़ों को अहसन फरमाया है पहला खुद को दूसरा इंसानी शक्ल को तीसरा अज़ान को चौथा दीने इस्लाम को और पांचवां हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम के किस्से को
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 12,सफह 368
_____________
Be Continuee .... . हिस्सा-4 Back .... . हिस्सा-2
COMMENTS