रमज़ान मुबारक
रमज़ान मुबारक
हिस्सा_11
सवाल--- जवाब
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सवाल----- क्या मर्द घर में रमज़ान के आखिरी अशरे का एतेक़ाफ़ कर सकता है जवाब इनायत करें महरबानी होगी,?
जवाब----- मर्द के लिए एतेक़ाफ़ घर में करना जायज़ नहीं कियोंकि एतेक़ाफ़ के लिए मस्जिद शर्त है- अल्लाह तआला के लिए मस्जिद में नियत के साथ ठहरने को एतेक़ाफ़ कहते हैं, एतेक़ाफ़ की दो शर्तें हैं
1- पहली शर्त मस्जिद होना
2- दूसरी शर्त एतेक़ाफ़ करने वाले का मुसलमान, आक़िल और जनाबत से पाक होना और औरत है तो उस का हैज़ वो निफास से पाक होना भी शर्त है अलबत्ता बालिग़ होना शर्त नहीं बल्कि नाबालिग बच्चा जो तमीज़ और समझ रखता हो तो एतेक़ाफ़ कर सकता है, एतेक़ाफ़ हर मस्जिद में जायज़ है अलबत्ता मस्जिद जमाअत यानि एसी मस्जिद जिस में इमाम मुअज़्ज़िन मुक़र्रर हों अगर चेह पांचों वक्त की जमाअत न होती हो उस में एतेक़ाफ़ ज़्यादा मुनासिब है
📕📚दुर्रे मुख़्तार व रद्दुल मुह़तार जिल्द 3 सफह 429
📕📚रोज़े के ज़रुरी मसाइल सफह 101
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1020
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सवाल----- एक सवाल अर्ज़ है कि रोज़े की ह़ालत में आंखों में दवा डाल सकते हैं कि नहीं, जवाब इनायत करें महरबानी होगी-?
जवाब----- रोज़े की ह़ालत में आंखों में दवा डालने में कोई ह़रज नहीं इस से रोज़ा नहीं टूटेगा
📕📚शामी जिल्द 2 सफह 395
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सवाल---- सवाल रात में आंखें नहीं खुली जिस की वजह से सेहरी नहीं खा पाये तो क्या बगैर सेहरी के रोज़ा रख सकते हैं
जवाब----- सेहरी खाना सुन्नत है और रोज़ा रखना फर्ज़ है अब आप ही बतायें अगर सुन्नत छूट जाये तो क्या फर्ज़ भी छोड़ देंगे- अगर सेहरी में आंख न खुले तो भी बगैर सेहरी के रोज़ा रखना जायज़ है,
📕📚फतावा फैज़ुर रसूल जिल्द 1 सफह 513
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सवाल---- रोज़े की ह़ालत में इतर खुश्बू लगा सकते हैं कि नहीं
जवाब---- रोज़े की ह़ालत में इतर लगाना, तेल लगाना बाल तरशवाना, बाम लगाना, वैसलीन या क्रीम लगाना, तेल की मालिश करना, यह सब जायज़ हैं, इन सब चीजों से रोज़ा नहीं टूटता है
📕📚फतावा मरकज़ी दारुल इफ़्ता बरेली शरीफ़ सफह 357
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सवाल---- रमज़ान की रातों में हम अपनी बीवी से सोहबत हमबिस्तरी कर सकते हैं कि नहीं, जवाब इनायत करें-?
जवाब---- रमज़ानुल मुबारक की रातों में बीवी से हमबिस्तरी करना जायज़ है
📕📚पारा 2 सूरह बक़रा आयत नं 187
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_सवाल------ साल में कौन कौन से दिन रोज़ा नहीं रख सकते-?
जवाब---- ईद के दिन,और बक़रा ईद के दिन और बक़रा ईद की 11-12-13- जिलहिज्ज को रोज़ा रखना मकरुहे तह़रीमी है, यानि इन दिनों का रोज़ा रखना जायज़ नहीं
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 967
📕📚फतावा हिन्दिया जिल्द जिल्द 1 सफह 193
📕📚दुर्रे मुख़्तार व, रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम जिल्द 3 सफह 388-392-
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🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹
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