रमज़ान मुबारक
रमज़ान मुबारक
हिस्सा_10
शबे क़द्र
_______________
सबसे पहले एक msg की वज़ाहत कर दूं कि आज कल सोशल मीडिया पर एक msg आ रहा है कि रमज़ान के आखिरी जुमा को 4 रकात नमाज़ पढ़ लें और आपकी 700 साल की नमाज़ अदा हो जायेगी,तो ये सिवाये जिहालत के कुछ नहीं है ऐसा हरगिज़ नहीं है कि आप 4 रकात नमाज़ पढ़ लीजिये और आपकी 700 साल की नमाज़ अदा हो जाये बल्कि 4 रकात नमाज़ से आपकी 4 रकात नमाज़ ही होगी वो भी तब जब कि आप किसी क़ज़ा नमाज़ को अदा करने की नियत करें वरना ये भी नफ्ल होगी
📕📚 बहारे शरीयत जिल्द 1,हिस्सा 4,सफह 708
ह़ज़रते अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि जब रमज़ान का महीना शुरू हुआ तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि यह महीना तुम में आया है और इस में एक रात ऐसी है जो हज़ार महीनों से बेहतर है तो जो शख्स उसकी बरकतों से मह़रुम रहा वह तमाम भलाइयों से मह़रुम रहा
📕📚इब्ने माजा शरीफ़ जिल्द 1 सफह 119
📕📚ब ह़वाला अनवारुल हदीस सफह 205
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की तमन्ना पर रब ने आपकी उम्मत को शबे क़द्र अता की जो 1000 महीनो की इबादत से अफज़ल है
📕📚 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 647
जो शबे क़द्र मे इतनी देर इबादत के लिये खड़ा रहा जितनी देर मे चरवाहा अपनी बकरी का दूध दूह ले तो वह रब के नज़दीक साल भर रोज़ा ( नफ्ली ) रखने वाले से बेहतर है
📕📚 क्या आप जानते हैं,सफह 367
जिसने इस रात खड़े बैठे जैसे भी ज़िक्रे इलाही किया तो जिब्रीले अमीन अपने पूरे फरिश्तों की जमात के साथ उसके लिये मग्फिरत की दुआ करते हैं
📕📚 अनवारुल हदीस,सफह 289
जो शबे क़द्र की बरक़त से महरूम रहा वो बड़ा बदनसीब है
📕📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह
ज़्यादा तर बुज़ुर्गो का क़ौल है कि शबे क़द्र रमज़ान की 27वीं शब ही है
📕📚 कंज़ुल ईमान,पारा 30,सफह 710
📕📚 तफसीरे अज़ीज़ी,पारा 30,सूरह क़द्र
📕📚 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 649
📕📚 कशफुल ग़िमा,जिल्द 1,सफह 214
हजरते आइशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने कहा कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि रमज़ान के आख़िरी अशरा की ताक़ रातों में शबे क़द्र को तलाश करो
📕📚बुखारी शरीफ़ जिल्द 1 सफह 270
📕📚ब ह़वाला अनवारुल हदीस सफह 205
बहरे कैफ जो लोग इन 5 ताक रातों यानि 21,23,25,27,29 में इबादते इलाही मे मसरूफ रहते हैं बिला शुबह वो अल्लाह के नेक बन्दे हैं मौला उनकी इबादतों को क़ुबूल फरमाये और अपने उन अच्छे बन्दों के सदक़े हम जैसे बदकारों की भी इबादतों को क़ुबूल फरमाये
4 रकात नमाज़ 2,2 करके इस तरह पढ़ें कि सूरह फातिहा के बाद सूरह तकासुर 1 बार और सूरह इख्लास 3 बार,इसको पढ़ने से मौत की सख्तियां आसान होगीं
📕📚 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 1,सफह 129
2 रकात नमाज़ बाद सूरह फातिहा के सूरह इख्लास 7 बार सलाम के बाद 'अस्तग़फिरुल्लाह' 7 बार,इसको पढ़ने से उसके वालिदैन पर रहमत बरसेगी
📕📚 बारह माह के फज़ायल,सफह 436
2 रकात नमाज़ बाद सूरह फातिहा के सूरह इख्लास 3 बार,इस नमाज़ का सवाब तमाम मुसलमानों को बख्शें और अपने लिए मग़फिरत कि दुआ करें तो रब तआला उसे बख्श देगा
📕📚 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 650
याद रहे कि जब तक फर्ज़ ज़िम्मे पर बाक़ी हो कोई भी नफ्ल इबादत मसलन नमाज़ रोज़ा वज़ायफ क़ुबूल नहीं किया जाता,क़ज़ा नमाज़ का पढ़ना फर्ज़े अज़ीम है अब अगर नमाज़े क़ज़ा हैं तो पहले उन्हें पढ़ें,हुक्म तो यहां तक है कि अस्र और इशा की पहली सुन्नत की जगह और तमाम पंज वक्ता नवाफिल की जगह अपनी क़ज़ा नमाज़ें पढ़ें,जिनकी बहुत ज़्यादा नमाज़ें क़ज़ा हो उसको आसानी से अदा करने के लिए सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि
एक दिन की 20 रकात नमाज़ पढ़नी होगी पांचों वक़्त की फर्ज़ और इशा की वित्र
नियत यूं करें "सब में पहली वो फज्र जो मुझसे क़ज़ा हुई अल्लाहु अकबर" कहकर नियत बांध लें,युंही फज्र की जगह ज़ुहर अस्र मग़रिब इशा वित्र सिर्फ नमाज़ो का नाम बदलता रहे
क़याम में सना छोड़ दे और बिस्मिल्लाह से शुरू करे,बाद सूरह फातिहा के कोई सूरह मिलाकर रुकू करे और रुकू की तस्बीह सिर्फ 1 बार पढ़े फिर युंही सजदों में भी 1 बार ही तस्बीह पढ़े इस तरह दो रकात पर क़ायदा करें और आखरी क़ायदे में अत्तहयात के बाद दुरूद इब्राहीम और दुआए मासूरह की जगह सिर्फ "अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यदना मुहम्मदिंव व आलेही" कहकर सलाम फेर दें,वित्र की तीनो रकात में सूरह मिलेगी मगर दुआये क़ुनूत की जगह सिर्फ "अल्लाहुम्मग़ फिरली" कह लेना काफी है
📕📚 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 62
अगर आपने क़ज़ाये उमरी पढ़ी तो इंशाअल्लाह तआला आपके ज़िम्मे से आपकी नमाज़ भी अदा हो जायेगी और आपको उन नफ्ल नमाज़ो की फज़ीलत भी मिल जायेगी
______________
🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹
COMMENTS