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रमज़ान मुबारक RAMADAN MUBARAK( एतेक़ाफ) हिस्सा_9

  रमज़ान मुबारक

 

रमज़ान मुबारक

 हिस्सा_9

एतेक़ाफ

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कंज़ुल ईमान-- औरतों से मुबाशिरत न करो, जबकि तुम मस्जिदों में एतेकाफ़ किए हुए हो

📕पारा 2 सूरह बक़रा आयत 187


मस्जिद में रब की रज़ा के लिए ठहरना एतेक़ाफ कहलाता है इसकी 3 किस्में हैं


1. वाजिब - किसी ने मन्नत मानी कि मेरा ये काम होगा तो मैं 1,2 या 3 दिन का एतेक़ाफ करूंगा तो उतने दिन का एतेक़ाफ उस पर वाजिब होगा


2. सुन्नते मुअक़्किदह - रमज़ान में आखिर 10 रोज़ का यानि बीसवें रमज़ान को मग़रिब के वक़्त बा नियत एतेक़ाफ मस्जिद में मौजूद हो,ये एतेक़ाफ सुन्नते मुअक़्किदह अलल किफाया है यानि अगर पूरे मुहल्ले से 1 आदमी एतेक़ाफ में बैठ जाये तो सबके लिए काफी है पर 1 भी नहीं बैठा तो सब गुनाहगार होंगे


3. मुसतहब - जब भी मस्जिद में दाखिल हों तो पढ़ लें 'नवैतो सुन्नतल एतेक़ाफ' तो जब तक मस्जिद में रहेंगे एतेक़ाफ का सवाब पायेंगे

📕 बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1021


इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का क़ौल है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं जिसने रमज़ान में 10 दिनों का एतेक़ाफ किया तो उसे 2 हज व 2 उमरे का सवाब मिलेगा

📕 बहारे शरीयत जिल्द 1 ,हिस्सा 5,सफह 1020

📕شعب الایمان، باب فی الاعتکاف، الحدیث، 3966 जिल्द 3 सफह 425


मस्जिद में खाना पीना सिवाये मोअतक़िफ के दूसरों को नाजायज़ है तो जो लोग मस्जिद में अफ्तार करते हैं उन्हें चाहिए कि एतेक़ाफ की नीयत कर के बैठें वरना गुनाहगार होंगे

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 108


मोअतक़िफ ना तो किसी मरीज़ की इयादत को जा सकता है ना जनाज़े में शामिल हो सकता है ना किसी औरत को छुए और ना मस्जिद से बाहर निकले

📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 492


अगर मोअतक़िफ मस्जिद से बाहर निकला तो एतेक़ाफ टूट जायेगा जिसकी क़ज़ा वाजिब होगी

📕 बहारे शरीयत जिल्द 1,हिस्सा 5,सफह 1023

📕रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 501


मोअतक़िफ के मस्जिद से बाहर निकलने के 2 उज़्र हैं


1. हाजते शरई मसलन जिस मस्जिद में ये एतेक़ाफ में है वहां जुमे की नमाज़ नहीं होती तो जुमा पढ़ने बाहर जा सकता है और अज़ान देने लिए मीनारे पर जाना है और रास्ता बाहर से है तो जा सकता है


2. हाजते तबई मसलन पेशाब पखाना वुज़ू गुस्ल अगर खारिजे मस्जिद में इनका इंतज़ाम नहीं है तो बाहर जा सकता है

📕 बहारे शरीयत जिल्द 1,हिस्सा 5,सफह 1023

📕दुर्रे मुख़्तार वो रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 501


एतेक़ाफे रमज़ान के लिए रोज़ा रखना शर्त है तो अगर रोज़ा नहीं रखा तो ये एतेक़ाफ नफ्ल होगा सुन्नत नहीं


📕 बहारे शरीयत जिल्द 1 ,हिस्सा 5,सफह 1022

📕रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 496


मर्द के लिए मस्जिद में एतेक़ाफ करना ज़रूरी है और अगर औरत एतेक़ाफ में बैठना चाहे तो जिस जगह वो नमाज़ पढ़ती है वहां एतेक़ाफ में बैठ सकती है

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 129


जिस तरह बिला उज़्रे शरई मर्द का मस्जिद से निकलना एतेक़ाफ तोड़ देगा उसी तरह औरत का भी घर से बिला उज़्रे शरई निकलना एतेक़ाफ को तोड़ देगा जिसकी क़ज़ा उस पर वाजिब होगी अगर चे भूल से ही निकले या सिर्फ 1 मिनट के लिए ही बाहर निकले

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 132


मोतक़िफ को फालतू बातों से परहेज़ ज़रूरी है हां अगर लोगों को दर्स देने के लिए महफिल करता है तो इजाज़त है

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 135

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ह़दीस-- ह़ुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम रमज़ानुल मुबारक के आखिरी अशरह का एतेकाफ़ फ़रमाया करते थे


📕📚सही मुस्लिम शरीफ़ किताबुल एतेकाफ़ सफह 597 ह़दीस 1172//2780_


एतेकाफ़ में बैठने वाला शख्स न मरीज़ की अयादत ( देखने ) को जा सकता है न जनाज़े में ह़ाज़िर हो सकता है,और न औरत को हाथ लगाये और न उस से मुबाशिरत करे और न किसी ह़ाजत के लिए जाऐ, मगर उस ह़ाजत के लिए जा सकता है जो ज़रुरी है,( मसलन अगर खारिजे मस्जिद में पाखाना पेशाब वगैरह के लिए इंतिज़ाम नहीं है या उस मस्जिद में जुमां न होती हो तो उसके लिए,)और एतेकाफ़ जमाअत वाली मस्जिद में करे


📕📚सुनन अबी दाऊद शरीफ़ किताबुस्सोम बाब मोतकिफ जिल्द 2 सफह 492 ह़दीस 2473


 औरत को मस्जिद में एतेकाफ़ में बैठना मकरुह है बल्कि वह घर में ही एतेकाफ़ करे मगर उस जगह करे जो उसने नमाज़ पढ़ने के लिए मुक़र्रर कर रखी है और औरत के लिए मुस्तहब भी है कि घर में नमाज़ पढ़ने के लिए कोई जगह मुक़र्रर कर ले और चाहिए कि उस जगह को हमेशा पाक साफ़ रखे और बेहतर यह है कि उस जगह को चबूतरह़ वगैरह की तरह़ बुलंद कर ले, बल्कि मर्द को भी चाहिए कि नवाफ़िल के लिए घर में कोई जगह मुक़र्रर कर ले कि नफ्ल नमाज़ घर में पढ़ना अफ़ज़ल है


📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1021

📕📚दुर्रे मुख़्तार वो रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 493


अगर औरत ने नमाज़ के लिए कोई जगह मुक़र्रर नहीं कर रखी है तो घर में एतेकाफ़ नहीं कर सकती इस लिए जब एतेकाफ़ का इरादा करे तो पहले किसी जगह को नमाज़ के लिए मुक़र्रर (ख़ास) कर ले फिर एतेकाफ़ करे


📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1021


अगर खारिजे मस्जिद में पाखाना पेशाब का इंतिज़ाम नहीं तो अपने घर जा सकता है पर याद रहे कि पाखाना पेशाब करने के फ़ौरन बाद चला आये उसको घर में ठहरने की इजाज़त नहीं, अगर उसके दो मकान हैं तो जो मस्जिद से ज़्यादा क़रीब हैं उस में जाए  बाज़ मशाएख़ फरमाते हैं कि दूर वाले में जायेगा तो एतेकाफ़ टूट जायेगा


📕रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 501

📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1024


अगर किसी ऐसी मस्जिद में एतेकाफ़ किया जहाँ जमाअत से नमाज़ नहीं होती तो जमाअत से नमाज़ पढ़ने के लिए निकलने की इजाज़त है


📕रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 503/505

📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1024


अगर कोई डूब रहा हो या जल रहा हो उसको बचाने के लिए मस्जिद से बाहर गया तो एतेकाफ़ टूट गया इसी तरह गवाही देने के लिए गया या किसी मरीज़ को देखने गया या नमाज़ जनाज़ा के लिए गया एतेकाफ़ टूट जायेगा अगर चेह नमाज़ जनाज़ा दूसरा कोई पढ़ाने वाला न हो फिर भी एतेकाफ़ टूट जायेगा


📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1025


एतेकाफ़ में बैठने वाला मस्जिद में ही खाए पीए सोए इन सब काम के लिए मस्जिद से बाहर जायेगा तो एतेकाफ़ टूट जायेगा, मगर खाने पीने में बहुत अहतियात से खाए कि मस्जिद में यह अहतियात लाज़िम है कि मस्जिद आलूदा न हो


📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1026


मोतकिफ के सिवा और किसी को मस्जिद में खाने पीने सोने की इजाज़त नहीं और अगर यह काम करना चाहे तो एतेकाफ़ की नियत कर के मस्जिद में जाए और नमाज़ पढ़े या ज़िक्रे इलाही करे फिर यह काम कर सकता  है


📕रद्दुल मुह़तार किताबुस्सोम बाब एतेकाफ़ जिल्द 3 सफह 506


लाकडाऊन में एतेकाफ़-- जिस तरह चंद लोगों को मस्जिद में जमाअत से नमाज़ पढ़ने की इजाज़त है उसी तरह किसी 1 या 2 शख्स को मस्जिद में एतेकाफ़ की भी इजाज़त है इसलिए मस्जिद में भीड़ भाड़ इकट्ठा न करें अगर पूरे शहर में से कोई एक भी एतेक़ाफ़ में बैठ गया तो पूरा शहर गुनहगार नहीं होगा और अगर पूरे शहर में कोई एक भी नहीं बैठा तो पूरे शहर के लोग गुनहगार होंगे,_


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🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹


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"235 वाँ उर्से जमाली मुबारक हो",1,आसमानी किताबें (Aasmani Kitabe),10,आसमानी किताबें 4 Aasmani Kitabe,1,इस्तेखारये ग़ौसिया,1,इस्लामिक महीना,7,एतेक़ाफ,1,क्‍या नमाज़ में कुरआन शरीफ देखकर किराअत kiraat करने से नमाज टूट जाएगी?,1,ज़कात zakat,1,नमाज़े तरावीह़,1,पांच वक़्त की नमाज़ जमाअत से पढ़ने की फ़ज़ीलत,1,फ़र्ज़,1,मुस्‍तहब,1,रमज़ान मुबारक,2,रमज़ान मुबारक RAMADAN MUBARAK,2,रमज़ानुल मुबारक,1,व मुबाह का ताअरूफ,1,वज़ाइफे ग़ौसिया,1,वाजिब,2,वित्र_किसे_कहते_हैं?,1,शबे क़द्र,1,सदक़ये फित्र,1,सलातुल ग़ौसिया,1,सुन्नत,2,abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai,1,abdul qadir jilani ghous pak kon hai,1,allah wala,8,attahiyat-Tashahhud,1,Deni Malumat in Hindi,9,Does namaz mean prayer?,1,Fazilat,1,full namaz,4,haraam-kise-kehte-hai-or-namaz-rakat,1,Hiqayat,1,history,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak k naam,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia,1,iblees,1,Is Shab-e-Barat 2 days?,1,islam symbol,4,islami sawal jawab,1,Islamic Haq Baat,2,jab gunah ho jaye to kya kare,1,kiraat-rukoo-sajda-meaning,1,Kya F.D. or Plicy per zakat farz hai,1,Masail e Zakat,1,Mustafa ka gharana salamat rahe,1,Naat Lyrics,3,namaz,2,namaz k faraiz,1,namaz k faraiz aur wajibat,1,namaz kayam karo,1,namaz ki shart o ka bayan,1,namaz ki sunnate wajibat mustahab,1,namaz ko jamat se padhna or 5 waqt ki namaj ka bayan (what is namaz?) Part-11,1,namaz me hath kaha bandhna chahiye,1,namaz nahi padhne walo ka anzam,1,Orto ke zever per zakat ka sharai ahkam,1,RAMADAN MUBARAK,2,ramzan mubarak,1,sadkaye fitra,1,shabe barat ki duwa or namaj ka tarika,1,takbire tehrima,1,Urs e jamali,1,wajib meaning,2,What do we pray in namaz?,1,What does namaz mean?,1,what is farz,2,What is namaz called in English?,1,What should we do during Shab-e-Barat?,1,what-is-qaida-e-akhirah,1,Which night is Shab-e-Barat?,1,zakat kis per farz hai,1,
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