हिस्सा_01 मीलाद शरीफ- मीलाद शरीफ और क़ुर्आन _______________ मीलाद👇 हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ज़ात व औसाफ़ व उनके हाल व अक़वाल क...
हिस्सा_01
मीलाद शरीफ-मीलाद शरीफ और क़ुर्आन
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मीलाद👇
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ज़ात व औसाफ़ व उनके हाल व अक़वाल के बयान को ही मिलादे पाक कहा जाता है,हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत की खुशी मनाना ये सिर्फ इंसान का ही खास्सा नहीं है बल्कि तमाम खलक़त उनकी विलादत की खुशी मनाती है बल्कि खुद रब्बे क़ायनात मेरे मुस्तफ़ा जाने रह़मत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद पढ़ता है,यहां क़ुर्आन की सिर्फ चंद आयतें पेश करता हूं वरना तो पूरा क़ुर्आन ही मेरे आक़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान से भरा हुआ है मगर कुछ आंख के अंधे और अक़्ल के कोढ़ियों को ये आयतें नहीं दिखतीं और वो लोग इसको भी शिर्क और बिदअत कहते हैं माज़ अल्लाह,हवाला मुलाहज़ा फरमायें
तर्जुमा कंज़ुल ईमान
वही है जिसने अपना रसूल हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा
📕📚 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 33
तर्जुमा कंज़ुल ईमान
बेशक तुम्हारे पास तशरीफ लायें तुममे से वो रसूल जिन पर तुम्हारा मशक़्क़त में पड़ना गिरां है तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले मुसलमानों पर कमाल मेहरबान
📕📚 पारा 11,सूरह तौबा,आयत 128
पहली आयत में मौला तआला उन्हें भेजने का ज़िक्र कर रहा है और भेजा उसे जाता है जो पहले से मौजूद हो मतलब साफ़ है कि महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पहले से ही आसमान पर या अर्शे आज़म पर या जहां भी रब ने उन्हें रखा वो वहां मौजूद थे,और दूसरी आयत में उनके तशरीफ लाने का और उनके औसाफ़ का भी बयान फरमा रहा है,क्या ये उसके महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद नहीं है, अब वहाबी खुदा पर क्या हुक्म लगायेगा?
तर्जुमा कंज़ुल ईमान
बेशक तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ़ से एक नूर आया और रौशन किताब
📕📚 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 15
यहां नूर से मुराद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हैं और किताब से मुराद क़ुर्आने मुक़द्दस है
तर्जुमा कंज़ुल ईमान
और याद करो जब ईसा बिन मरियम ने कहा ................. और उन रसूल की बशारत सुनाता हूं जो मेरे बाद तशरीफ लायेंगे उनका नाम अहमद है
📕 📚पारा 28,सूरह सफ,आयत 6
इस आयत में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मेरे आक़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद पढ़ रहे हैं,क्या अब वहाबी उन पर भी हुक्म लगायेगा
तर्जुमा कंज़ुल ईमान
और याद करो जब अल्लाह ने पैगम्बरों से अहद लिया.जो मैं तुमको किताब और हिकमत दूं फिर तशरीफ लायें तुम्हारे पास वो रसूल कि तुम्हारी किताब की तस्दीक़ फरमायें तो तुम ज़रूर ज़रूर उन पर ईमान लाना और उनकी मदद करना,क्या तुमने इक़रार किया और उस पर मेरा भारी ज़िम्मा लिया,सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया फरमाया तो एक दूसरे पर गवाह हो जाओ और मैं खुद तुम्हारे साथ गवाहों में हूं,तो जो कोई इसके बाद फिरे तो वही लोग फासिक़ हैं
📕📚 पारा 3,सूरह आले इमरान,आयत 81-82
ये आलमे अरवाह का वाकिया है जहां मौला ने अपने महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान बयान करने के लिए अपने तमाम नबियों को इकठ्ठा कर लिया यानि महफिले मिलाद सजा ली और उनसे फरमा रहा है कि अगर तुम्हारे पास मेरा महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ लायें तो तुम्हे सब कुछ छोड़कर उसकी इत्तेबा करनी होगी,और आखिर के जुम्ले क्या ही क़यामत खेज़ हैं क्या फरमा रहा है कि "जो इस अहद को तोड़े तो वो फासिक़ है" अल्लाह अल्लाह ये कौन कह रहा है हमारा और आपका रब कह रहा है,किससे कह रहा है अपने मासूम नबियों से कह रहा है,क्यों कह रहा है क्योंकि बात उसके महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की है इसलिए कह रहा है
आज हम उसके महबूब का ज़िक्र करें तो मुश्रिक
महफिले मीलाद सजायें तो हम मुश्रिक
भीड़ इकठ्ठा कर लें तो हम मुश्रिक
और रब जो कर रहा है उसका क्या,क्या उस पर भी हुक्म लगेगा वहाबियों_
मीलाद शरीफ और क़ुर्आन Part-02
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