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Huzur abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai? (part-02)

हुज़ूर ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का एक लक़ब मोहिउद्दीन भी है, यानि.....

 

Huzur abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai?

हिस्सा-02

पीरे ला सानी, महबूबे सुब्ह़ानी, सय्यिदना, शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai

हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को मोहिउद्दीन क्‍यो कहते है?

हुज़ूर ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का एक लक़ब मोहिउद्दीन भी है, यानि कि (दीन को ज़िन्दा करने वाला) मोहिउद्दीन लक़ब पड़ने की वजह हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद ही फरमाते हैं कि एक मर्तबा मैं नंगे पैर जुम्अ के दिन जंगलों के रास्ते से होते हुए बग़दाद जा रहा था,रास्ते में मुझे एक बहुत ही कमज़ोर और लागर शख्स मिला जो कि खुद से उठकर खड़ा भी नहीं हो सकता था, इतना ज़यादा कमज़ोर था,उसने मुझे आवाज़ देकर बुलाया मैं उसके पास पहुंचा तो कहने लगा कि अए अब्दुल क़ादिर मैं निहायत ही कमज़ोर हूं तुम मुझे सहारा देकर खड़ा कर दो, हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फरमाते हैं कि मैंने जैसे ही हाथ देकर उसे उठाया वो तंदरुस्त हो गया और खूबसूरत शक्ल ज़ाहिर होने लगी अब उस शख़्स ने कहा कि क्या आप मुझे जानते हैं? मैंने कहा नहीं, तो उसने कहा कि मैं दीने इस्लाम हूं, मैं ऐसा ही कमज़ोर था जैसा कि आपने मुझे देखा, मगर रब ने आपकी वजह से मुझे ज़िन्दगी बख़्शी आप मोहिउद्दीन यानि दीन को ज़िंदा करने वाले हैं,फरमाते हैं कि फिर मैं वहां से जामा मस्जिद पहुंचा नमाज़ पढ़ी उसके बाद लोग हुजूम दर हुजूम चले आते हैं और हर कोई या शैख मोहिउद्दीन कहकर पुकारता , हालांकि इस बात का ज़िक्र अब तक मैंने किसी से ना की थी 

📕 नफहातुल इंस,सफह 769

एक लाख से भी ज़्यादा लोगों ने मेरे हाथ पर तौबा की और तक़रीबन 500 से ज़्यादा यहूदो नसारा ने इस्लाम क़ुबूल किया है

📕 मिर्रातुल असरार,सफह 566

हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु 40 साल तक इशा के वुज़ू से फज्र की नमाज़ अदा की है 

📕 तारीखुल औलिया,सफह 40

हदीसे पाक में आता है कि जब अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने बंदों में से किसी को अपना खास क़ुर्ब अता फरमाता है तो हज़रते जिब्रील अलैहिस्सलाम को बुला कर इरशाद फरमाता है कि अए जिब्रील मैं फलां बन्दे से मुहब्बत करता हूं ,तू भी उससे मुहब्बत रख, और आसमान में निदा कर दो कि फरिश्ते भी उससे मुहब्बत करें तो हज़रते जिब्रील अलैहिस्सलाम जाकर फरिश्तों में ये ऐलान करते हैं कि अल्लाह तआला फलां बन्दे से मुहब्बत करता है और मैं भी उससे मुहब्बत करता हूं और तुम सब भी उससे मुहब्बत रखो, फिर आकर इसी तरह ज़मीन पर भी ऐलान किया जाता है और इस तरह उस बन्दे की मक़बूलियत तमाम जहान में फैल जाती है, ऐसी जीती जागती मिसाल हमारे पीरो मुरशिद हुज़ूर ताजुश्शरिय्या की ज़ात थी कि आप जहाँ से गुज़र जाते आपकी दीदार के लिए ऐसी भीड़ जमा हो जाती कि लोग तअज्जुब करने लगते और जब आप का विसाल हुआ तो आखिरी दीदार के लिए बरेली शरीफ़ में इतने लोग जमा हो गये कि उस से पहले किसी के इंतिक़ाल पर ऐसी भीड़ कभी जमा नहीं हुई थीा


कैसा भी वक़्त आ जाये मगर उसे हर हाल में सच ही बोलना चाहिये

            हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इल्मे दीन हासिल करने के लिए  बग़दाद शरीफ जाने लगे तो आपकी वालिदा ने आपके खर्च के लिए 40 दीनार दिए जो कि आपकी वालिदा ने आपकी सदरी में छिपा दिए मगर ये वसीयत की कि कैसा भी वक़्त आये हमेशा सच ही बोलनाा
            आप एक काफिला के साथ जंगल के रास्ते से गुज़र रहे थे कि कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया और सबका माल लूटना शुरू कर दिया, जो भी डाकू आपके पास आकर आपसे पूछता कि क्या तुम्हारे पास भी कुछ है तो आप फरमाते कि हां मेरे पास 40 दीनार हैं जो कि मेरी सदरी में सिले हैं मगर आपकी बात सुनकर हर डाकु यही समझता कि बच्चा है शायद तफरीहन कह रहा है,युंही सबसे आखिर में जब डाकुओं का सरदार आया और हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से वही सवाल किया तो आपने उसको भी वही बता दिया,अब जब आपकी सदरी को खोल कर देखा गया तो  40 दीनार निकले ये देखकर डाकुओं के सरदार ने कहा जब तुम्हारी माँ ने इसे छिपा दिया था, तो हमें क्यूँ बताया जबकि अगर आप न बताते, तो हम लोग जान भी नहीं पाते, तो हुज़ूर गौसे आज़म  abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इस पर इरशाद फरमाते हैं कि मेरी माँ ने मुझसे कहा था कि बेटा कभी झूठ मत बोलना इसलिए मैंने सच सच आपको बता दिया, ये सुनकर डाकुओं का सरदार जिसका नाम अहमद बदवी था ज़ारो क़तार रोने लगा और बोला कि एक माँ की बात इस बच्चे से नहीं टाली गई और एक हम हैं कि अपने रब की कितनी ही नाफरमानी करते हैं गुनाह पे गुनाह करते हैं वहीं उसने आपके हाथ पर तौबा की उसका पूरा गिरोह भी ताईब हुआ और सारा माल काफिले वालों को लौटा दिया, हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरे ज़रिये हिदायत पाने वाला ये पहला गिरोह थाा

📕 नफहातुल इंस,सफह 757

सबक़

माशाअल्लाह - सुब्हान अल्लाह, क्या शान है हमारे गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak की, इस वाकिये से दो बातें सीखने को मिली एक येह कि इंसान पर कैसा भी वक़्त आ जाये मगर उसे हर हाल में सच ही बोलना चाहिये क्योंकि हो सकता है बज़ाहिर अगर झूठ से उस वक़्त छुटकारा मिल भी जाए मगर आगे ज़रूर ज़रूर वो किसी बड़ी मुश्किल में फंसेगा और अगर  सच बोला  तो हो सकता है कि उस वक़्त उसको तकलीफ पहुंच जाए मगर आईन्दा के लिए आराम ही आराम है और दूसरी बात  ये कि इल्म सीखना कितना ज़रूरी है कि हुज़ूर गौसे आज़म की माँ ने हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak को सिर्फ इल्मे दीन के लिए अपने से दूर भेजा और वो भी किस बच्चे को जो पैदाइशी वली हैं,याद रखें बग़ैर इल्म के कोई हरगिज़ हरगिज़ वली नहीं हो सकता हां ये अलग बात है कि कभी कभार ऐसा भी होता है कि अल्लाह को कोई बन्दा पसंद आ जाए वो उसे इल्मे लदुन्नी अता फरमाता है फिर विलायत देता है मगर इल्म देता ज़रूर हैा


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"235 वाँ उर्से जमाली मुबारक हो",1,आसमानी किताबें (Aasmani Kitabe),10,आसमानी किताबें 4 Aasmani Kitabe,1,इस्तेखारये ग़ौसिया,1,इस्लामिक महीना,7,एतेक़ाफ,1,क्‍या नमाज़ में कुरआन शरीफ देखकर किराअत kiraat करने से नमाज टूट जाएगी?,1,ज़कात zakat,1,नमाज़े तरावीह़,1,पांच वक़्त की नमाज़ जमाअत से पढ़ने की फ़ज़ीलत,1,फ़र्ज़,1,मुस्‍तहब,1,रमज़ान मुबारक,2,रमज़ान मुबारक RAMADAN MUBARAK,2,रमज़ानुल मुबारक,1,व मुबाह का ताअरूफ,1,वज़ाइफे ग़ौसिया,1,वाजिब,2,वित्र_किसे_कहते_हैं?,1,शबे क़द्र,1,सदक़ये फित्र,1,सलातुल ग़ौसिया,1,सुन्नत,2,abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai,1,abdul qadir jilani ghous pak kon hai,1,allah wala,8,attahiyat-Tashahhud,1,Deni Malumat in Hindi,9,Does namaz mean prayer?,1,Fazilat,1,full namaz,4,haraam-kise-kehte-hai-or-namaz-rakat,1,Hiqayat,1,history,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak k naam,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia,1,iblees,1,Is Shab-e-Barat 2 days?,1,islam symbol,4,islami sawal jawab,1,Islamic Haq Baat,2,jab gunah ho jaye to kya kare,1,kiraat-rukoo-sajda-meaning,1,Kya F.D. or Plicy per zakat farz hai,1,Masail e Zakat,1,Mustafa ka gharana salamat rahe,1,Naat Lyrics,3,namaz,2,namaz k faraiz,1,namaz k faraiz aur wajibat,1,namaz kayam karo,1,namaz ki shart o ka bayan,1,namaz ki sunnate wajibat mustahab,1,namaz ko jamat se padhna or 5 waqt ki namaj ka bayan (what is namaz?) Part-11,1,namaz me hath kaha bandhna chahiye,1,namaz nahi padhne walo ka anzam,1,Orto ke zever per zakat ka sharai ahkam,1,RAMADAN MUBARAK,2,ramzan mubarak,1,sadkaye fitra,1,shabe barat ki duwa or namaj ka tarika,1,takbire tehrima,1,Urs e jamali,1,wajib meaning,2,What do we pray in namaz?,1,What does namaz mean?,1,what is farz,2,What is namaz called in English?,1,What should we do during Shab-e-Barat?,1,what-is-qaida-e-akhirah,1,Which night is Shab-e-Barat?,1,zakat kis per farz hai,1,
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