हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शान और अज़मत ये भी है कि आने वाला हर महीना पहले आपकी बारगाह में हाज़िर होता है
huzur abdul qadir jilani ghous pak k naam?
हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के 99 नाम हैं
📕 तारीखुल औलिया,सफह 26
हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शान और अज़मत ये भी है कि आने वाला हर महीना पहले आपकी बारगाह में हाज़िर होता है फिर उसके बाद ज़माने पर आता है अगर आने वाले महीने में लोगों के लिए खैर (भलाई) होती है तो अच्छी सूरत में हाज़िर होता है और अगर लोगों के लिए मुसीबत आने वाली होती है तो बुरी शक्ल में हाज़िर होता है, एक मर्तबा एक शख़्स खूबसूरत चेहरे वाला आपकी बारगाह में हाज़िर हुआ और हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak से अर्ज़ किया कि मैं रमज़ान शरीफ हूं और मैं आपसे रूख़सत लेने के लिए आया हूं कि अब आईन्दा आपसे मुलाक़ात नहीं होगी,उसी साल रबीउल आखिर में आपने विसाल फरमाया और रमज़ान मुबारक आपने ना पाया
हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम औलिया के सरदार हैं
हुज़ूर गौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम औलिया के सरदार हैं उम्मत का इस बात पर इज्माअ है कि सरकार ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को सहाबा इकराम और ताबईन इकराम के बाद तमाम औलिया इज़ाम पर बरतरी हासिल है चाहे वो वली आपसे पहले गुज़र चुके हों या आपके बाद, कहते हैं कि अस्फहान के एक वली शेख सनआन जो कि ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के हम अस्र थे इल्मो इर्फान के ज़बरदस्त शनावर थे और करामत तो बा कसरत सरज़द होते थे, जब सरकारे ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का ये फरमान हुआ कि मेरा येह क़दम तमाम औलिया की गरदन पर है, कानों में पहुंचा तो आप ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का मर्तबा पहचानने में धोखा खा गए और अपनी गर्दन खम नहीं की, जिस पर उसी वक़्त आपकी विलायत सल्ब हो गयी और चुंकि हुज़ूर ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के लिए कजी उन्के दिल में आई तो ईमान भी खतरे में पड़ गया,आखिर कार एक रात हुज़ूर ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में आजिज़ी की जिसकी बदौलत सरकारे ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उन्हें माफ़ फरमा दिया और फिर से उनकी विलायत बहाल की.
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शान बयान करते हुए लिखते हैं कि
जब हुज़ूर सरकारे ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विलादत हुई तो आपके दोनों कांधो के बीच मुहरे नुबूवत की तरह ही हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कदमों के निशान मौजूद थे जो शबे मेराज की निशानी थी, वाकिया क्या हुआ पढ़े और ईमान को ताज़ा करे,
''मेरा ये क़दम तमाम औलिया की गर्दनो पर है''
तो उस महफिल में सबसे पहले हज़रत अली बिन हैती ने अपनी गर्दन पर आपका क़दम रख दिया फिर तमाम गरदनें खुद बखुद खिंचकर आपके क़दम के नीचे आ गई, उस वक़्त पूरी रूए ज़मीन पर जितने भी वली मौजूद थे सभी ने आपका ये क़ौल समाअत किया और सरों को झुका दिया मगर सरकार ग़रीब नवाज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जो कि खुरासान की पहाड़ियों में मुजाहिदात में थे सरों को खम करने में अफज़लियत दिखाई और फरमाते हैं कि "आपका क़दम मेरे सर और आंखों पर हैं" तो ग़ौसे आज़म abdul qadir jilani ghous pak रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं सय्यद ग़्यास उद्दीन (ग़रीब नवाज़ के वालिद) के साहबज़ादे ने गर्दन खम करने में सबक़त हासिल की है सो हमने उनको हिन्दुस्तान की सुलतानी अता की.
अब सोहरवर्दी सिलसिले के बानी हज़रत शैख शहाब उद्दीन सोहरवर्दी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का वाक़िया,पढ़ लिजीए
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- नमाज़ के फर्ज़ों का बयान
- तकबीरे इन्तिक़ाल
- किसकी नमाज शुरू ही न हुई ?
- किसकी नमाज न हुई?
- गुंगा या जबान बंद हो, ऐसे व्यक्ति की तकबीरे तहरिमा कैसे होगी?
- तकबीरे तहरिमा की फजीलत कब मिलेगी?
- तकबीरे तहरिमा के लिए क्या कहना वाजिब है?
- तकबीरे तहरिमा में क्या करना सुन्नत है ?
- अगर इमाम तकबीरे इन्तिक़ाल यानि अल्लाहु अकबर बुलंद आवाज़ से कहना भूल गया
- जिसका आदमी का एक ही हाथ हो, वह तकबीरे तहरिमा कैैैसे करे ?
- मुकतदी और अकेले नमाज पढनेे वाला अल्लाह अकबर की आवाज ?
- दिन व रात में कुल कितनी नमाज है?
- फजर का वक़्त
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- असर का वक़्त
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