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huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia (par-4)

huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia हिस्सा-03 पीरे ला सानी, महबूबे सुब्ह़ानी, सय्यिदना, शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु...

huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia

हिस्सा-03

पीरे ला सानी, महबूबे सुब्ह़ानी, सय्यिदना, शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी, हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म की शान बयान करते हुए इरशाद फरमाते हैं कि

"क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा 
शेर को ख़तरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा"
huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia


आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इस शेअर की तशरीह पढ़ लीजिये इंशाअल्लाह ईमान ताज़ा हो जायेगा

शेख अबु मसऊद इब्ने अबु बक्र से रिवायत है कि एक वली जिनका नाम शेख अहमद जाम ज़िंदाफील है वो शेर पर बैठकर ही सफर किया करते थे और जहां भी मेहमान होते तो अपने शेर के लिए एक गाय खुराक़ में तलब करते,एक मर्तबा आप किसी वली के पास गए और शेर के लिए गाय मांगी तो उन्होंने गाय तो पेश कर दी मगर आपको तकलीफ हुई, आपने उनको सबक़ सिखाने के लिए कहला भेजा कि बग़दाद शरीफ़ चले जाइये वहां आपकी और आपके शेर दोनों की बहुत अच्छी दावत होगी,आप उनके कहने के मुताबिक़ बग़दाद शरीफ़ पहुंच गए और एक जगह पड़ाव डाल दिया और किसी के ज़रिये हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास कहला भेजा कि हम उनके मेहमान हैं सो हमारे शेर के लिए एक गाय भेज दी जाए,हुज़ूर ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने खादिम के ज़रिये कहला भेजा कि अभी गाय रवाना की जाती है वो वली बहुत खुश हुए और कहने लगे कि देखा हमारा दबदबा,खैर इधर जब खानक़ाह से एक गाय बाहर निकली तो आस्ताने के बाहर एक दुबला पतला कुत्ता बैठा रहता था जो कि उसी आस्ताने के लंगर खाने की हड्डियों पर बसर करता था,जब उसने अपने आस्ताने की गाय को बाहर जाता देखा तो वो भी साथ हो लिया अब जब गाय शेर के सामने पहुंची तो शेर ने उस पर हमला करना चाहा जैसे ही कुत्ते ने देखा कि गाय मुश्किल में है फौरन वो शेर पर झपट पड़ा और मुंह से शेर का गला पकड़ा और अपने नाखूनों से उसका पेट फाड़ डाला शेर वहीं गिरकर मर गया और कुत्ता अपनी गाय लेकर आस्ताने वापस लौट आया,शेख अहमद जाम ने जब कुत्ते की जुर्रत देखी तो फौरन समझ गये कि ये मुझ पर तंबीह है फौरन बारगाहे ग़ौसियत में हाज़िर होकर माफी मांगी और दुआ के तलबगार हुएा 

📕📚 हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 214
📕📚 शाने ग़ौसे आज़म,सफह 204

एक और शानदार रिवायत मुलाहज़ा फरमायें

ठाकुर रणजीत सिंह के दौरे हुकूमत का एक वाक़िया है कि,एक हिन्दू औरत पर एक मुसलमान बद अक़ीदा आशिक़ हो गया,औरत हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak ग़ौसे पाक को मानने वाली थी,एक दिन वो और उसका शौहर दोनों जंगल के रास्ते से कहीं जा रहे थे कि वो बद अक़ीदा वहां अपने साथ एक और घोड़ा लेकर पहुंच गया और उन दोनों को बैठने को कहा शौहर ने मना किया तो औरत को बिठाने को कहा,तो उसके शौहर ने कहा कि तुम्हारा क्या भरोसा कि तुम कहीं मेरी बीवी को भगा ले गए,  हां अगर ज़मानत देदो तो और बात है,इस पर बद अक़ीदा बोला कि इस जंगल में अब ज़ामिन कहां से लाऊं तो औरत बोली कि ग्यारहवीं वाले बड़े पीर साहब की ज़मानत दे दो इस पर वो तैयार हो गया,अब जैसे ही औरत घोड़े पर बैठी उसने फौरन तलवार से उसके शौहर की गर्दन उड़ा दी और उसके घोड़े को लेकर भागा औरत पीछे को देखने लगी तो बद अक़ीदे ने कहा कि अब किसको देखती है तेरा शौहर तो मर गया तो औरत बोली कि मैं बड़े पीर साहब को देखती हूं,इस पर वो हंसा कि उनको मरे तो सदियां गुज़र गयी वो अब कहां से आयेंगे कि तभी अचानक दो बुर्का पोश सवार उसके सामने आकर खड़े हो गए, एक ने उसका सर धड़ से अलग कर दिया और दूसरे उस औरत को लेकर वहां पहुंचे जहां उसका शौहर मरा हुआ था आपने उसके सर को जोड़कर "क़ुमबिइज़्निल्लाह" कहा तो, वो फौरन ज़िन्दा होकर खड़ा हो गया दोनों हज़रात उनकी आंखों के सामने गायब हो गए और फिर दोनों मियां बीवी सही सलामत वापस अपने घर को चले आयेा
📕📚 शरह हिदायके बख्शिश,जिल्द 1,सफह 91


वज़ाइफे ग़ौसिया

"या शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी शैयन लिल्लाह''

यह वज़ीफ़ा हमेशा से बुजुर्गाने दीन के मामूलात से रहा है किसी मुसीबत या तकलीफ़ में हुज़ूर गौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को याद करने से तमाम मुसीबतें और परेशानियां दूर हो जाती हैं,हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद इरशाद फरमाते हैं कि "मेरा कोई मुरीद मुसीबत परेशानी में जब मुझे याद करता है तो मैं उसकी मदद करता हूँ अगर चेह मेरा मुरीद बहुत फासले पर हो" जैसा कि रियायतों में आता है कि

"हुज़ूर ग़ौसे abdul qadir jilani ghous pakआज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की एक मुरीदनी कहीं किसी काम से एक ग़ार की तरफ़ गई उसके पीछे एक बदकार श़ख्स भी पहुंच गया और उसकी अज़मत रेज़ी का इरादा किया,उसने फौरन अपने पीर हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को याद किया उस वक़्त हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने मदरसे में वुज़ू कर रहे थे आपने अपनी लकड़ी की खड़ाऊं को हवा में उछाल दिया जो सीधा ग़ार की तरफ़ चल पड़ी और वहां पहुंचकर उस बदकार के सर पर पड़ने लगी यहां तक कि वो मर गया"

📕📚 शाने ग़ौसे आज़म,सफह 205

माशाअल्लाह - सुब्हान अल्लाह क्या शान है औलिया ए किराम की, इस रिवायत से पता चला कि अगर कोई सिद्क़ दिल से औलिया ए किराम को मदद के लिए पुकाराता है तो अल्लाह के नेक बंदे अल्लाह की दी हुई ताक़त से  उसकी मदद करते हैं आइए एक रिवायत और पेश करता हूँ पढ़े और ईमान को ताज़ा करें

हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बारें में एक शख़्स का बयान

एक शख़्स का बयान है कि एक बार सफर में मेरी 14 ऊंटो पर शकर की बोरियां लदी थी मगर रास्ते में 4 ऊंट कहीं गुम (गायब) हो गए मुझे सख़्त परेशानी लाहिक हुई तो मुझे याद आया कि मेरे शैख़ ने फरमाया है कि जब भी मुसीबत में होना तो मुझे याद कर लेना तो ये सोचकर मैंने उनका नाम लेकर इस्तिगासा करना शुरू किया,अभी कुछ ही लम्हा गुज़रा था कि मैंने एक टीले पर एक सफेद पोश बुज़ुर्ग को देखा वो मुझे अपनी तरफ़ बुला रहे थे मैं जब वहां पहुंचा तो वहां कोई ना था मगर मेरे चारों ऊंट वहीं टीले पर बैठे मिल गएा 

📕 क़लाएदुल जवाहर,सफह 230

इस्तेखारये ग़ौसिया

सहाबये किराम रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन इरशाद फरमाते हैं कि हमें हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इस्तेखारा की तालीम इस तरह दिया करते थे जिस तरह क़ुर्आन की तालीम देते थेा

📕📚 शम्ये शबिस्ताने रज़ा

तो जब भी किसी मुबाह काम का इरादा करें मसलन सफर, या मकान या दुकान की तामीर, निकाह, तिजारत या उसका माल, किसी से पार्टनरशिप, सवारी या सवारी का जानवर, पालने का जानवर या नौकरी वग़ैरह तो इस्तेखारा कर लेना बेहतर है, बेहतर है कि इस्तेखारा शबे जुम्अ से शुरू करें अगर पहली रात में कामयाबी मिल जाए तो अच्छा, वरना 7 रातों तक लगातार करते रहें फिर अपने दिल पर ग़ौर करें जिस पर ख्याल जम जाये वो बेहतर है,और अगर ख्वाब में सफेदी या सब्ज़ नज़र आये तो भी बेहतर है और अगर सुर्ख और सियाही नज़र आये तो फिर उस काम का क़स्द छोड़ दें, वैसे तो इस्तेखारे के लिए नमाज़ भी है और बहुत सारे वज़ाएफ भी, मगर चुंकि यहां हुज़ूर हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हुग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मंसूब वज़ीफे का तज़किरा हो रहा है इसलिए  इस्तेखारये ग़ौसिया ही दर्ज कर रहे हैा

इशा की नमाज़ के बाद रात को सोने से पहले अपनी हाजत को दिल में बसाकर अव्वल आखिर 11,11 बार दुरूदे ग़ौसिया और 1000 बार या शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी शैयन लिल्लाह

"يا شيخ عبد القادر الجيلانى شىء لله"

पढ़कर अपने दाहिने हाथ की हथेली पर दम करें और सर के नीचे रखकर सो जायें,इंशाअल्लाह जो भी जायज़ मक़सद होगा पूरा होगा

📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा,हिस्सा 2,सफह 277

सलातुल ग़ौसिया

ये नमाज़ कज़ाए हाजत के लिए बहुत ही बेहतरीन है, वैसे तो जब भी सख्त ज़रुरत हो इसे पढ़ सकते हैं लेकिन अगर रबीउल आखिर की 11 तारीख को पढ़ा जाये तो क्या कहना, इसका तरीक़ा ये है कि बाद नमाज़े मग़रिब 2 रकात नमाज़ नफ्ल क़ज़ाए हाजत इस तरह पढ़ें कि दोनों रकाअतों में सूरह फातिहा के बाद सूरह इखलास 11,11 बार पढ़ें, बाद सलाम के तीसरा कल्मा पढ़ें और 11 बार दुरूदे ग़ौसिया फिर 11 बार कहें या रसूल अल्लाह या नबी अल्लाह अग़िस्नी वमदुदनी फी क़'दाए हाजती या क़ा'दियल हाजात

"يا رسول الله يا نبى الله اغثنى وامددنى فى قضاء حاجتى يا قاضى الحاجات"

फिर 11 क़दम इश्‍राक़ की जानिब चलें और हर क़दम पर ये पढ़ें या ग़ौसस सक़ालैन वया करीमत तराफ़ैन अग़िस्नी वमदुदनी फी क़'दाए हाजती या क़ा'दियल हाजात

 "يا غوث الثقلين ويا كريم الطرفين اغثنى وامددنى فى قضاء حاجتى يا قاضى الحاجات"

फिर अल्लाह की बारगाह में इन मुक़द्दस हस्तियों के तवस्सुल से दुआ करें, इंशाअल्लाह काम ज़रूर पूरा होगा

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 4,सफह 31

 बारिश होना बन्द हो गई

शैख़ अदी बिन अबुल बरकात बयान करते हैं कि रिवायत है कि एक वक्त का ज़िक्र है कि हज़रत शैख अब्दुल क़ादर जीलानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मजलिस वालों से हम कलाम ( गुफ्तगू ) फरमा रहे थे कि इतने में बारिश होने लगी आपने आसमान की तरफ़ नज़र उठाकर फरमाया कि "मैं तो तेरे लिए लोगों को जमा करता हूं और तू उन्हें (बिखेरता) अलग अलग करता है" आपका यह कहना था कि बारिश कतरा कर मदरसे के आसपास बरसती रही सिर्फ आप के मदरसे में बरसना बंद हो गई 

📕📚 क़लाइदुल जवाहिर फि मनाक़िबिश शैख़ अब्दुल क़ादर (मुतरजिम) सफह 100
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🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹
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"235 वाँ उर्से जमाली मुबारक हो",1,आसमानी किताबें (Aasmani Kitabe),10,आसमानी किताबें 4 Aasmani Kitabe,1,इस्तेखारये ग़ौसिया,1,इस्लामिक महीना,7,एतेक़ाफ,1,क्‍या नमाज़ में कुरआन शरीफ देखकर किराअत kiraat करने से नमाज टूट जाएगी?,1,ज़कात zakat,1,नमाज़े तरावीह़,1,पांच वक़्त की नमाज़ जमाअत से पढ़ने की फ़ज़ीलत,1,फ़र्ज़,1,मुस्‍तहब,1,रमज़ान मुबारक,2,रमज़ान मुबारक RAMADAN MUBARAK,2,रमज़ानुल मुबारक,1,व मुबाह का ताअरूफ,1,वज़ाइफे ग़ौसिया,1,वाजिब,2,वित्र_किसे_कहते_हैं?,1,शबे क़द्र,1,सदक़ये फित्र,1,सलातुल ग़ौसिया,1,सुन्नत,2,abdul qadir jilani ghous pak ko mohiyuddin kyo kehte hai,1,abdul qadir jilani ghous pak kon hai,1,allah wala,8,attahiyat-Tashahhud,1,Deni Malumat in Hindi,9,Does namaz mean prayer?,1,Fazilat,1,full namaz,4,haraam-kise-kehte-hai-or-namaz-rakat,1,Hiqayat,1,history,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak k naam,1,huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia,1,iblees,1,Is Shab-e-Barat 2 days?,1,islam symbol,4,islami sawal jawab,1,Islamic Haq Baat,2,jab gunah ho jaye to kya kare,1,kiraat-rukoo-sajda-meaning,1,Kya F.D. or Plicy per zakat farz hai,1,Masail e Zakat,1,Mustafa ka gharana salamat rahe,1,Naat Lyrics,3,namaz,2,namaz k faraiz,1,namaz k faraiz aur wajibat,1,namaz kayam karo,1,namaz ki shart o ka bayan,1,namaz ki sunnate wajibat mustahab,1,namaz ko jamat se padhna or 5 waqt ki namaj ka bayan (what is namaz?) Part-11,1,namaz me hath kaha bandhna chahiye,1,namaz nahi padhne walo ka anzam,1,Orto ke zever per zakat ka sharai ahkam,1,RAMADAN MUBARAK,2,ramzan mubarak,1,sadkaye fitra,1,shabe barat ki duwa or namaj ka tarika,1,takbire tehrima,1,Urs e jamali,1,wajib meaning,2,What do we pray in namaz?,1,What does namaz mean?,1,what is farz,2,What is namaz called in English?,1,What should we do during Shab-e-Barat?,1,what-is-qaida-e-akhirah,1,Which night is Shab-e-Barat?,1,zakat kis per farz hai,1,
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Islam Religion History: huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia (par-4)
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