huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia हिस्सा-03 पीरे ला सानी, महबूबे सुब्ह़ानी, सय्यिदना, शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु...
huzur abdul qadir jilani ghous pak ka waqia
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी, हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म की शान बयान करते हुए इरशाद फरमाते हैं कि
शेर को ख़तरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा"
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इस शेअर की तशरीह पढ़ लीजिये इंशाअल्लाह ईमान ताज़ा हो जायेगा
शेख अबु मसऊद इब्ने अबु बक्र से रिवायत है कि एक वली जिनका नाम शेख अहमद जाम ज़िंदाफील है वो शेर पर बैठकर ही सफर किया करते थे और जहां भी मेहमान होते तो अपने शेर के लिए एक गाय खुराक़ में तलब करते,एक मर्तबा आप किसी वली के पास गए और शेर के लिए गाय मांगी तो उन्होंने गाय तो पेश कर दी मगर आपको तकलीफ हुई, आपने उनको सबक़ सिखाने के लिए कहला भेजा कि बग़दाद शरीफ़ चले जाइये वहां आपकी और आपके शेर दोनों की बहुत अच्छी दावत होगी,आप उनके कहने के मुताबिक़ बग़दाद शरीफ़ पहुंच गए और एक जगह पड़ाव डाल दिया और किसी के ज़रिये हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास कहला भेजा कि हम उनके मेहमान हैं सो हमारे शेर के लिए एक गाय भेज दी जाए,हुज़ूर ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने खादिम के ज़रिये कहला भेजा कि अभी गाय रवाना की जाती है वो वली बहुत खुश हुए और कहने लगे कि देखा हमारा दबदबा,खैर इधर जब खानक़ाह से एक गाय बाहर निकली तो आस्ताने के बाहर एक दुबला पतला कुत्ता बैठा रहता था जो कि उसी आस्ताने के लंगर खाने की हड्डियों पर बसर करता था,जब उसने अपने आस्ताने की गाय को बाहर जाता देखा तो वो भी साथ हो लिया अब जब गाय शेर के सामने पहुंची तो शेर ने उस पर हमला करना चाहा जैसे ही कुत्ते ने देखा कि गाय मुश्किल में है फौरन वो शेर पर झपट पड़ा और मुंह से शेर का गला पकड़ा और अपने नाखूनों से उसका पेट फाड़ डाला शेर वहीं गिरकर मर गया और कुत्ता अपनी गाय लेकर आस्ताने वापस लौट आया,शेख अहमद जाम ने जब कुत्ते की जुर्रत देखी तो फौरन समझ गये कि ये मुझ पर तंबीह है फौरन बारगाहे ग़ौसियत में हाज़िर होकर माफी मांगी और दुआ के तलबगार हुएा
📕📚 हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 214📕📚 शाने ग़ौसे आज़म,सफह 204
एक और शानदार रिवायत मुलाहज़ा फरमायें
वज़ाइफे ग़ौसिया
यह वज़ीफ़ा हमेशा से बुजुर्गाने दीन के मामूलात से रहा है किसी मुसीबत या तकलीफ़ में हुज़ूर गौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को याद करने से तमाम मुसीबतें और परेशानियां दूर हो जाती हैं,हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद इरशाद फरमाते हैं कि "मेरा कोई मुरीद मुसीबत परेशानी में जब मुझे याद करता है तो मैं उसकी मदद करता हूँ अगर चेह मेरा मुरीद बहुत फासले पर हो" जैसा कि रियायतों में आता है कि
"हुज़ूर ग़ौसे abdul qadir jilani ghous pakआज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की एक मुरीदनी कहीं किसी काम से एक ग़ार की तरफ़ गई उसके पीछे एक बदकार श़ख्स भी पहुंच गया और उसकी अज़मत रेज़ी का इरादा किया,उसने फौरन अपने पीर हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को याद किया उस वक़्त हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने मदरसे में वुज़ू कर रहे थे आपने अपनी लकड़ी की खड़ाऊं को हवा में उछाल दिया जो सीधा ग़ार की तरफ़ चल पड़ी और वहां पहुंचकर उस बदकार के सर पर पड़ने लगी यहां तक कि वो मर गया"
माशाअल्लाह - सुब्हान अल्लाह क्या शान है औलिया ए किराम की, इस रिवायत से पता चला कि अगर कोई सिद्क़ दिल से औलिया ए किराम को मदद के लिए पुकाराता है तो अल्लाह के नेक बंदे अल्लाह की दी हुई ताक़त से उसकी मदद करते हैं आइए एक रिवायत और पेश करता हूँ पढ़े और ईमान को ताज़ा करें
हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बारें में एक शख़्स का बयान
एक शख़्स का बयान है कि एक बार सफर में मेरी 14 ऊंटो पर शकर की बोरियां लदी थी मगर रास्ते में 4 ऊंट कहीं गुम (गायब) हो गए मुझे सख़्त परेशानी लाहिक हुई तो मुझे याद आया कि मेरे शैख़ ने फरमाया है कि जब भी मुसीबत में होना तो मुझे याद कर लेना तो ये सोचकर मैंने उनका नाम लेकर इस्तिगासा करना शुरू किया,अभी कुछ ही लम्हा गुज़रा था कि मैंने एक टीले पर एक सफेद पोश बुज़ुर्ग को देखा वो मुझे अपनी तरफ़ बुला रहे थे मैं जब वहां पहुंचा तो वहां कोई ना था मगर मेरे चारों ऊंट वहीं टीले पर बैठे मिल गएा
इस्तेखारये ग़ौसिया
सहाबये किराम रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन इरशाद फरमाते हैं कि हमें हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इस्तेखारा की तालीम इस तरह दिया करते थे जिस तरह क़ुर्आन की तालीम देते थेा
📕📚 शम्ये शबिस्ताने रज़ा
तो जब भी किसी मुबाह काम का इरादा करें मसलन सफर, या मकान या दुकान की तामीर, निकाह, तिजारत या उसका माल, किसी से पार्टनरशिप, सवारी या सवारी का जानवर, पालने का जानवर या नौकरी वग़ैरह तो इस्तेखारा कर लेना बेहतर है, बेहतर है कि इस्तेखारा शबे जुम्अ से शुरू करें अगर पहली रात में कामयाबी मिल जाए तो अच्छा, वरना 7 रातों तक लगातार करते रहें फिर अपने दिल पर ग़ौर करें जिस पर ख्याल जम जाये वो बेहतर है,और अगर ख्वाब में सफेदी या सब्ज़ नज़र आये तो भी बेहतर है और अगर सुर्ख और सियाही नज़र आये तो फिर उस काम का क़स्द छोड़ दें, वैसे तो इस्तेखारे के लिए नमाज़ भी है और बहुत सारे वज़ाएफ भी, मगर चुंकि यहां हुज़ूर हुज़ूर abdul qadir jilani ghous pak गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हुग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मंसूब वज़ीफे का तज़किरा हो रहा है इसलिए इस्तेखारये ग़ौसिया ही दर्ज कर रहे हैा
इशा की नमाज़ के बाद रात को सोने से पहले अपनी हाजत को दिल में बसाकर अव्वल आखिर 11,11 बार दुरूदे ग़ौसिया और 1000 बार या शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी शैयन लिल्लाह
"يا شيخ عبد القادر الجيلانى شىء لله"
पढ़कर अपने दाहिने हाथ की हथेली पर दम करें और सर के नीचे रखकर सो जायें,इंशाअल्लाह जो भी जायज़ मक़सद होगा पूरा होगा
सलातुल ग़ौसिया
ये नमाज़ कज़ाए हाजत के लिए बहुत ही बेहतरीन है, वैसे तो जब भी सख्त ज़रुरत हो इसे पढ़ सकते हैं लेकिन अगर रबीउल आखिर की 11 तारीख को पढ़ा जाये तो क्या कहना, इसका तरीक़ा ये है कि बाद नमाज़े मग़रिब 2 रकात नमाज़ नफ्ल क़ज़ाए हाजत इस तरह पढ़ें कि दोनों रकाअतों में सूरह फातिहा के बाद सूरह इखलास 11,11 बार पढ़ें, बाद सलाम के तीसरा कल्मा पढ़ें और 11 बार दुरूदे ग़ौसिया फिर 11 बार कहें या रसूल अल्लाह या नबी अल्लाह अग़िस्नी वमदुदनी फी क़'दाए हाजती या क़ा'दियल हाजात
"يا رسول الله يا نبى الله اغثنى وامددنى فى قضاء حاجتى يا قاضى الحاجات"
फिर 11 क़दम इश्राक़ की जानिब चलें और हर क़दम पर ये पढ़ें या ग़ौसस सक़ालैन वया करीमत तराफ़ैन अग़िस्नी वमदुदनी फी क़'दाए हाजती या क़ा'दियल हाजात
फिर अल्लाह की बारगाह में इन मुक़द्दस हस्तियों के तवस्सुल से दुआ करें, इंशाअल्लाह काम ज़रूर पूरा होगा
बारिश होना बन्द हो गई
शैख़ अदी बिन अबुल बरकात बयान करते हैं कि रिवायत है कि एक वक्त का ज़िक्र है कि हज़रत शैख अब्दुल क़ादर जीलानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मजलिस वालों से हम कलाम ( गुफ्तगू ) फरमा रहे थे कि इतने में बारिश होने लगी आपने आसमान की तरफ़ नज़र उठाकर फरमाया कि "मैं तो तेरे लिए लोगों को जमा करता हूं और तू उन्हें (बिखेरता) अलग अलग करता है" आपका यह कहना था कि बारिश कतरा कर मदरसे के आसपास बरसती रही सिर्फ आप के मदरसे में बरसना बंद हो गई
हिस्सा-05 to be continued.... Back हिस्सा-03
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