ह़राम haraam उसे कहते हैं जिसकी ह़ुरमत का सबूत दलीले शरीइया यक़ीनिया से हो, इसका छोड़ना निहायत ही ज़रुरी,और इंकार करने वाला काफिर है, इसका एक मरतबा...
Islam me haraam kise kehte hai
हराम haraam किसे कहते है
ह़राम haraam उसे कहते हैं जिसकी ह़ुरमत का सबूत दलीले शरीइया यक़ीनिया से हो, इसका छोड़ना निहायत ही ज़रुरी,और इंकार करने वाला काफिर है, इसका एक मरतबा भी क़स़्दन जानबूझकर करने वाला फ़ासिक़ गुनाहे कबीरा का मुरतकिब (अपराधी ) और जहन्नम के अज़ाब का हक़दार है, इसको छोड़ना और इससे बचना बाइस़े सवाब है, ह़राम haraam काम फर्ज़ काम के मुक़ाबिल होता है
मकरुहे तह़रीमी:
मकरुहे तह़रीमी उसे कहते हैं जिस गुनाह का श़रीअ़त के ख़िलाफ़ होना शरई ज़न्नी दलीलों से साबित हो, इससे बचना और इसको छोड़ना भी ज़रुरी है, मकरुहे तह़रीमी का करना अगरचे गुनाहे कबीरा और ह़राम haraam के दर्जे से कम है लेकिन चंद मरतबा करने और इस पर हमेशगी करने से यह काम भी गुनाहे कबीरा में शुमार होगा, मकरुहे तह़रीमी का करने वाला फ़ासिक़ और अज़ाब का हक़दार है और इस काम से बचना सवाब है, मकरुहे तह़रीमी काम वाजिब काम के मुक़ाबिल होता हैा
इसाअत
इसाअत काम मुक़ाबिल होता है सुन्नते मुअक्किदह काम का, इसको छोड़ना और इससे बचना ज़रुरी है, इसका करना बुरा और इससे बचना सवाब है, कभी कभार करने वाला भी इताब (धमका देने ) के लाइक़ है और हमेशा यह काम करने वाला और इस काम के करने की आदत डालने वाला अज़ाब का हक़दार हैा
मकरुहे तन्ज़ीही
मकरुहे तन्ज़ीही काम मुक़ाबिल V/S होता है सुन्नते गैर मुअक्किदह काम का मकरुहे तन्ज़ीही का करना श़रीअ़त में गैर पसन्दीदा है, इसके करने पर किसी भी तरह का गुनाह या अज़ाब नहीं, लेकिन इस काम की आदत डालना बुरा है, इस काम से बचने में भी अज्रो सवाब हैा
खिलाफ़े अवला
ख़िलाफ़े अवला उस काम को कहते हैं जिसको छोड़ना और उससे बचना बेहतर था, लेकिन अगर कर लिया तो कोई ह़रज नहीं, (अपराध ) भी नहीं खिलाफ़े अवला काम मुक़ाबिल (V/S) होता है मुस्तहब काम का,
आप ह़ज़रात यह तमाम इस्तिलाह़ात को अच्छी तरह याद कर लें ताकि अगली पोस्ट में नमाज़ के मुतअल्लिक़ अहकाम व मसाइल समझने में आसानी हो, और इसके अलावा एक यह भी जानकारी होगी कि कौन सा काम करना ज़रुरी है और किस काम से बचना ज़रुरी हैा
और यह भी याद रखें कि सुन्नते हुदा, सुन्नते मुअक्किदह का नाम है, और सुन्नते ज़ाइदा सुन्नते गैर मुअक्किदह का नाम हैा
नमाज़ namaz की शर्तों का बयान व नमाज namaz rakat क्या है
शराइते नमाज़ namaz छे (6) हैं, इसके बगैर नमाज़ namaz शुरू ही नहीं होती है, यूँ समझे कि जैसे नमाज़ namaz के अन्दर फराइज़ (फर्ज़ काम ) होते हैं मसलन क़याम (खड़ा होना) क़िरआत रुकू वगैरह जिनको छोड़ देने से नमाज़ namaz होगी ही नहीं, इसी तरह नमाज़ namaz के बाहर भी कुछ फराइज़ (फर्ज़ ) हैं जिनके बगैर नमाज़ namaz शुरू ही नहीं होगी, उनको शराइते नमाज़ namaz कहते हैं, अगर तमाम शराइत में से एक भी शर्त छूट जाए तो नमाज़ namaz शुरू नहीं होगी, इसी तरह अगर नमाज़ namaz के अन्दर भी एक भी शर्त खत्म हो जाए तो भी नमाज़ namaz नहीं होगी, इसलिए इन तमाम शराइत का नमाज़ namaz से पहले होना ज़रुरी है,अब मैं नमाज़ namaz की छे शर्तें नीचे तहरीर कर रहा हूँ इसे याद कर लें:
- तहारत
- सतरे औरत
- इस्तिक़बाले क़िब्ला
- वक़्त
- निय्यत
- तकबीरे तह़रीमा
📕📚माखूज़ अज़ बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 476
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 45
1. तहारत
नमाज़ की पहली शर्त तहारत : नमाज़ी का बदन (शरीर ) पाक हो यानि उस पर गुस्ल वाजिब न हो और औरतों का भी हैज़ वगैरह से पाक होने के लिए गुस्ल वाजिब न हो, नमाज़ी बा वुज़ू हो, यानि बे वुज़ू न हो, नमाज़ी के कपड़े पाक हो📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 476
📕📚मोमिन की नमाज़ सफह 45
- मस्अला:- "जिस जगह पर नमाज़ पढ़ता हो, वह जगह पाक हो, अगर ज़मीन पर नमाज़ पढ़ता हो तो ज़मीन और ज़मीन पर कपड़ा या मुसल्ला बिछाकर उस पर नमाज़ पढ़ता हो तो वोह पाक हो"
- मस्अला :- "जिस जगह (स्थान) नमाज़ पढ़ता हो उसके पाक होने से मुराद यह है कि क़दम (पाव ) की जगह और मवज़ ए सजदा यानि सजदा करते वक्त बदन के जो अंग ज़मीन से लगते हों, उन अंगों के ज़मीन से लगने की जगह पाक होना है"
📕📚दुर्रे मुख़्तार जिल्द 2 सफह 92
📕📚माखूज़ अज़ बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 477
- मस्अला:- "नमाज़ पढ़ने वाले के एक क़दम (पाव ) के नीचे दिरहम के मात्रा से ज़्यादा नापाकी है तो नमाज़ न होगी, यूंही दोनों क़दम के नीचे थोड़ी थोड़ी नजासत है और उनको मिलाने (जोड़ने ) से एक दिरहम की मिक़दार (मात्रा ) हो जाएगी तो भी नमाज़ न होगी"
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 477
- मस्अला:- "अगर नजिस जगह पर ऐसा बारीक कपड़ा बिछाकर नमाज़ पढ़ी कि वोह कपड़ा सतर (अंग ) ढांपने के काम में नहीं आ सकता यानि उसके नीचे की चीज़ झलकती हो तो नमाज़ न होगी, और शीशा (कांच Glass) पर नमाज़ पढ़ी और उसके नीचे नजासत है अगरचे नुमाया( स्पष्ट) हो तो भी नमाज़ हो जाएगी"
📕📚रद्दुल मुह़तार जिल्द 2 सफह 92
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 478
- मस्अला:- "अगर मोटा (Thick) कपड़ा नजिस जगह पर बिछाकर नमाज़ पढ़ी और नजासत खुश्क (सूखी ) हुई है कि कपड़े में जज़ब (शोषण) नहीं होती और नजासत की रंगत और बदबू (दुर्गन्ध) महसूस नहीं होता तो नमाज़ हो जाएगी, कि यह कपड़ा नजासत और नमाज़ी के दरमियान फ़ासिल हो जायेगा"
📕📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 3 सफह 478
Note: अगर पाक और साफ़ जगह मयस्सर (उपलब्ध) है तो नजिस जगह पर कपड़ा बिछाकर नमाज़ न पढ़े, क्योंकि जो मस्अला ऊपर बयान किया गया है वह मजबूरी की सूरत का है
📕📚 मोमिन की नमाज़ सफह 45
अगली पोस्ट में इंशाअल्लाह नमाज़ की दूसरी शर्त सतरे औरत के तअल्लुक़ से शरई अह़काम और मसाइल आपकी ख़िदमत में पेश करुंगा
🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹
हिस्सा-06 to be continued.... हिस्सा-04
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