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फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत, मुस्‍तहब, व मुबाह का ताअरूफ | Define Farz, Wajib, Sunnat, Mustahab, Mubah (part-4)

फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत ए मुअक्किदह, सुन्नत ए गैर मुअक्किदह, मुस्तहब, मुबाह, की ताअरीफ़ और इनके अहकाम को बताया गया हैा जिन्‍हे आप आसानी समझ सकते है.....

फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत, मुस्‍तहब,  व मुबाह का ताअरूफ 

Define Farz, Wajib, Sunnat, Mustahab, Mubah 

  what is namaz? हिस्सा-04

Introduction ताअरूफ 

फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत ए मुअक्किदह, सुन्नत ए गैर मुअक्किदह, मुस्तहब, मुबाह, की ताअरीफ़ और इनके अहकाम को बताया गया हैा

फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत, मुस्‍तहब,  व मुबाह का ताअरूफ

श़रीअ़त में हर क़िस्म के अच्छे और बुरे कामों के लिए क़ानून मुक़र्रर किए गए हैं और उन कामों की इस्तेलाहात  तय की गई हैं, हर काम के दरजात तय करने की वजह येह है कि हर तरह के कामों की अहमियत ज़ाहिर हो, जिस तरह कोई अच्छा काम बहुत अच्छा होता है उसी तरह कोई बुरा काम ज़यादा बुरा भी होता है लिहाज़ा हर अच्छे काम के मुक़ाबले में बुरा काम रखा गया है, उन अच्छे और बुरे कामों को और उनके दरजात को समझने में आसानी हो, इस लिए हमने यहाँ तफ़सीलन पेश कर दिया हैा

अच्छे और बुरे कामों की तशरीह

अच्छे काम:- जिनका करना ज़रुरी है या जिन कामों को करने को श़रीअ़त में पसंद किया गया हो और उन कामों के करने पर अज्र और सवाब मिलता हैा

बुरे काम:- जिनसे बचना ज़रुरी है या जिन कामों को करने को श़रीअ़त में पसंद नहीं किया गया और जिन कामों के करने पर अज़ाब और इताब (गुस्सा /ग़ज़ब) होगा यानि रब की बारगाह में पकड़ होगी

👇

 अच्छे काम (Good Work)

👇 बुरे काम (Bad Work)

फर्ज Farz

हराम Haraam

वाजिब Wajib

मकरुहे तह़रीमी Markruh e Tehrimi

सुन्नते मुअक्किदह Sunnat e Mokedah

असाअत Asaat

सुन्नते गैर मुअक्किदह Sunnat e gair Mokedah

मकरुहे तन्ज़ीही

मुस्तहब Mustahab

खिलाफे़ अवला Khilaf e Avla

आइये हम आपको तमाम अहकाम को तफ़सीलन समझाते है जिन्‍हे पढ़ें और हम गुनहगार को दुआ में याद रखें

फ़र्ज़, Farz

फर्ज़ उसे कहते हैं जो दलाइले शरइया यक़ीनिया से साबित हो, इसी वजह से इसका करना निहायत ही ज़रुरी है, और इसका  इंकार करने वाला काफिर हैा बिना उज्रे - शरई इसको छोड़ने वाला फ़ासिक़ गुनाहे कबीरा का मुरतकिब (अपराधी ) और जहन्नम के अज़ाब का हक़दार हैा

जो एक वक्त की भी फर्ज़ नमाज़ जानबूझकर क़ज़ा करे वोह फ़ासिक़ व मुरतकिबे कबीरा व जहन्नम का मुस्तहिक़ है

📕📚फतावा रज़विया श़रीफ़ जिल्द 2 सफह 194

वाजिब, Wajib

वाजिब उसे कहते हैं जो दलाइले शरइया ज़न्निया ( गैर यक़ीनिया) से साबित हो, इसका करना भी ज़रूरी है इसका इंकार करने वाला गुमराह और बद मज़हब है, बगैर किसी उज्र शरई इसको छोड़ने वाला फ़ासिक़ और अज़ाबे जहन्नम का मुस्तहिक़ हैा

किसी वाजिब को क़स्दन जानबूझकर एक मरतबा छोड़ना गुनाहे सगीरा है और चन्द बार छोड़ना गुनाहे कबीरा है

सुन्नत ए मुअक्किदह, Sunnat e Mokedah

सुन्नते मुअक्किदह वह है जिसको हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हमेशा किया हो, अलबत्ता कभी छोड़ा भी हो इसकी अदायगी भी ज़रूरी है इस सुन्नत को सुन्नते हुदा भी कहते हैं, सुन्नते मुअक्किदह इत्तेफ़ाक़िया तौर पर छोड़ देने पर भी अल्लाह व रसूल का इताब होगाा 

और इसको हमेशा छोड़ने की आदत डालने वाला जहन्नम के अज़ाब का हक़दार होगा, सुन्नते मुअक्किदह हुक्म में वाजिब के क़रीब है

📕📚फतावा रज़विया श़रीफ़ जिल्द 3 सफह 279

सुन्नते गैर मुअक्किदह, Sunnat e Gair Mokedah

सुन्नते गैर मुअक्किदह वह है जिसको हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किया हो और बगैर किसी उज्र के कभी कभी छोड़ भी दिया हो, इसका करना अच्छा है और करने वाला सवाब पायेगा इस सुन्नत को सुन्नते ज़वाईद भी कहते हैं, 

यह सुन्नत शरीअत की नज़र में एसी मतलूब (प्रिय) है कि इसको छोड़ना न पसंद किया गया है लेकिन इसके न करने पर यानि छोड़ने पर किसी भी तरह  का अज़ाब या इताब नहीं

मुस्तहब, Mustahab 

हर वो काम जो शरीअत की नज़र में पसंदीदा हो और उसके छोड़ने पर किसी तरह की नापसन्दीदगी भी न हो, इस काम को चाहे  हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ख़ुद किया हो या उसकी तरग़ीब दी हो या अकाबिर ओलोमा ए मिल्लते इस्लामिया ने इसे पसंद फरमाया हो, अगरचे ह़दीसों में इसका ज़िक्र न आया हो, इसका करना सवाब है और न करने और छोड़ने पर अज़ाब व इताब मुत्लकन कुछ भी नहीं

मुबाह, Mubah

वोह काम जिसका करना और छोड़ना दोनों यकसां यानि बराबर हो जिस के करने में न कोई सवाब हो और जिसके छोड़ देने में कोई अज़ाब व इताब भी नहीं

🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹

हिस्सा-05 to be continued....                                                                    हिस्सा-03

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Islam Religion History: फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत, मुस्‍तहब, व मुबाह का ताअरूफ | Define Farz, Wajib, Sunnat, Mustahab, Mubah (part-4)
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