हिस्सा_03 सबसे बेहतर कौन मीलाद शरीफ- मीलाद शरीफ और क़ुर्आन जैसा कि क़ुर्आन में मौला तआला फरमाता है कि मेरी दी हुई नेअमतों का चर्चा करो तो ...
हिस्सा_03
सबसे बेहतर कौन
हिस्सा_03
सबसे बेहतर कौन
मीलाद शरीफ-मीलाद शरीफ और क़ुर्आन
जैसा कि क़ुर्आन में मौला तआला फरमाता है कि मेरी दी हुई नेअमतों का चर्चा करो तो नेअमते उज़मा के ताल्लुक़ से हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि👇
हदीस
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बेशक अल्लाह की नेअमत हैं
📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 566
और नेअमत का चर्चा करना यानि उसके महबूब का ज़िक्र करना ही है जिसे उर्फे आम में मीलाद शरीफ कहा जाता है,और ये ऐतराज़ भी सरासर बातिल है कि किसी सहाबी ने हुज़ूर का मीलाद नहीं मनाया,सहाबियों का क़ौल तो आगे पेश करता ही हूं पहले इस पर नज़र डालिये कि खुद मुस्तफा जाने रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अपना मीलाद पढ़ रहे हैं,मुलाहज़ा फरमायें👇
हदीस
हज़रते अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेंबर पर तशरीफ लायें और फरमाया कि मैं कौन हूं सहाबा ने अर्ज़ की कि आप अल्लाह के रसूल हैं फरमाया कि मैं अब्दुल मुत्तलिब के बेटे का बेटा हूं अल्लाह तआला ने तमाम मखलूक़ को पैदा किया उन सबमे सबसे बेहतर मुझे बनाया फिर मखलूक़ के दो गिरोह किये उसमे भी सबमे बेहतर मुझे रखा फिर उनमे क़बीले बनाये और मुझे सबमे बेहतर क़बीले में रखा फिर उनमे घराने बनाये और मुझे सबसे बेहतर घराने में चुना तो मैं उन सबमे अपनी ज़ात और घराने के ऐतबार से सबसे बेहतर हूं
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 666
क्या ये मीलाद नहीं है,और पढ़िये
हदीस
हज़रत सय्य्दना अबु क़तादह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमेशा पीर के दिन रोज़ा रखते थे जब आपसे इसके मुताल्लिक़ पूछा गया तो आप फरमाते हैं कि इस दिन मैं पैदा हुआ
📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 821
ग़ौर कीजिये साल में 52 दोशम्बे होते हैं और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हर पीर को रोज़ा रख रहे हैं और फरमाते हैं कि इस दिन मैं पैदा हुआ,बेशक आप पैदा तो 12 रबीउल अव्वल शरीफ दोशम्बे को हुए मगर चुंकि दिन दोशम्बा था इसलिए उस दिन की फज़ीलत तमाम सालों के दिनों पर रख दी गई,खुद खुदा जिनका मीलाद पढ़ रहा है खुद हुज़ूर अपना मीलाद पढ़ रहे हैं और किसने कहा कि सहाबा ने हुज़ूर का मीलाद नहीं पढ़ा,उनका तो दिन रात ही हुज़ूर के ज़िक्र में गुज़रता था उन्हें हमारी तरह हुज़ूर का ज़िक्र करने के लिए मौक़ों की ज़रुरत नहीं पड़ती थी,फिर भी कुछ रिवायात पेश करता हूं
हदीस
हज़रत अता बिन यासर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि हम अब्दुल्लाह बिन उमर बिन आस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास गए और उनसे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नात पढ़ने को कहा तो आपने हमें हुज़ूर की नात पढ़कर सुनाई
📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 520
हदीस
खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मस्जिदे नब्वी शरीफ में मेंबर लगवाते और उस पर हज़रते हस्सान इब्ने साबित रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खड़े होकर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नात पढ़ते जिसे हुज़ूर और तमाम सहाबा सुना करते
📕 अबु दाऊद,जिल्द 3,सफह 570
महफिल इकट्ठी करना,मेंबर लगाना,नात पढ़ना सुनना,अगर ये सब मीलाद नहीं है तो फिर मीलाद किसे कहते हैं जाहिल बद मज़हबों का ये कहना कि सहाबा से हुज़ूर का मीलाद मनाना साबित नहीं है सरासर हिमाक़त और जिहालत है और अगर थोड़ी देर के लिए बक़ौल तुम्हारे मान भी लिया जाए कि सहाबये किराम ने हुज़ूर का मीलाद नहीं मनाया तो भी हमारा नबी का मीलाद मनाना नाजायज़ों हराम कैसे हो गया? ,क्योंकि बहुत से ऐसे काम है जो सहाबा ने नहीं किये हैं मगर हम करतें हैं और बद मज़हब भी करता है
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abdul qadir jilani सय्यिद अब्दुल क़ादिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हिस्सा-01
- रमज़ान मुबारक
- नमाज़ के फर्ज़ों का बयान
- तकबीरे इन्तिक़ाल
- किसकी नमाज शुरू ही न हुई ?
- किसकी नमाज न हुई?
- गुंगा या जबान बंद हो, ऐसे व्यक्ति की तकबीरे तहरिमा कैसे होगी?
- तकबीरे तहरिमा की फजीलत कब मिलेगी?
- तकबीरे तहरिमा के लिए क्या कहना वाजिब है?
- तकबीरे तहरिमा में क्या करना सुन्नत है ?
- अगर इमाम तकबीरे इन्तिक़ाल यानि अल्लाहु अकबर बुलंद आवाज़ से कहना भूल गया
- जिसका आदमी का एक ही हाथ हो, वह तकबीरे तहरिमा कैैैसे करे ?
- मुकतदी और अकेले नमाज पढनेे वाला अल्लाह अकबर की आवाज ?
- दिन व रात में कुल कितनी नमाज है?
- फजर का वक़्त
- ज़ुहर का वक़्त
- असर का वक़्त
- मग़रिब का वक़्त
- इशा का वक़्त
- रमज़ान मुबारक
- नमाज़ के फर्ज़ों का बयान
- तकबीरे इन्तिक़ाल
- किसकी नमाज शुरू ही न हुई ?
- किसकी नमाज न हुई?
- गुंगा या जबान बंद हो, ऐसे व्यक्ति की तकबीरे तहरिमा कैसे होगी?
- तकबीरे तहरिमा की फजीलत कब मिलेगी?
- तकबीरे तहरिमा के लिए क्या कहना वाजिब है?
- तकबीरे तहरिमा में क्या करना सुन्नत है ?
- अगर इमाम तकबीरे इन्तिक़ाल यानि अल्लाहु अकबर बुलंद आवाज़ से कहना भूल गया
- जिसका आदमी का एक ही हाथ हो, वह तकबीरे तहरिमा कैैैसे करे ?
- मुकतदी और अकेले नमाज पढनेे वाला अल्लाह अकबर की आवाज ?
- दिन व रात में कुल कितनी नमाज है?
- फजर का वक़्त
- ज़ुहर का वक़्त
- असर का वक़्त
- मग़रिब का वक़्त
- इशा का वक़्त
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